गोलाबारी तो बंद है, पर LoC के पास के गांववाले अब पानी के लिए हैं परेशान
जम्मू-कश्मीर में इलाका कुछ वक्त पहले तक पाकिस्तान की तरफ से हो रही गोलाबारी से परेशान था। लोग डर के साए में जी रहे थे कि पता नहीं कब कहां से गोला बरसे और उनकी दुनिया उजाड़ दे। 100 दिनों से ज्यादा वक्त हो गया जब से पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर का पूरी तरह पालन किया जा रहा है। तंगधार की भौगोलिक स्थिति इस तरह से है कि तीन तरफ से पाकिस्तान गोले बरसा सकता है। गोलाबारी न होने से तंगधार के लोग सुकून में हैं लेकिन के पास बसे तंगधार के 6 गांव के लोग अब पानी को लेकर परेशान हैं।
तंगधार के ये छह गांव एकदम एलओसी के पास बसे हैं। यहां से एलओसी करीब आधा किलोमीटर की ही दूरी पर है। 24 फरवरी की रात से भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। वैसे तो 2003 में भारत पाकिस्तान के बीच सीजफायर अग्रीमेंट हुआ था लेकिन पाकिस्तान ने कुछ वक्त बाद ही इसका उल्लंघन शुरू कर दिया था। फरवरी में दोनों तरफ की सेनाओं ने बयान जारी कर कहा कि सीजफायर का गंभीरता से पालन किया जाएगा।
तंगधार का सुदपुरा गांव एकदम एलओसी के पास है। गांव के सरपंच खलीलुल रहमान ने एनबीटी से बात करते हुए कहा कि सीजफायर उल्लंघन ना होने से गांव वाले थोड़े सुकून में हैं। लेकिन अभी पानी हमारे लिए बड़ा सरदर्द बना हुआ है। उन्होंने कहा कि सुदपुरा गांव सहित 6 गांव खेती के लिए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की तरफ से आ रहे पानी पर निर्भर हैं। अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक खेती के लिए पानी चाहिए होता है। जो पीओके की नहर के जरिए इन 6 गांवों तक पहुंचता है।
खलीलुल रहमान ने कहा कि लेकिन इस बार अभी तक हमें पीओके की तरफ से पानी नहीं मिल पाया है क्योंकि हमारी फ्लैग मीटिंग नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि हम 5-6 सिविलियंस भारतीय सेना की इजाजत लेकर सफेद झंडा हाथों में लिए एलओसी के पास जाते हैं। सफेद झंडा देखकर पाकिस्तान की आर्मी के लोग हमसे वजह पूछते हैं। फिर पानी को लेकर बात होती है। तब पीओके से इन छह गांवों को नहर के जरिए खेती के लिए पानी मिलता है।
सरपंच ने कहा कि इस बार फ्लैग मीटिंग नहीं हो पाई है। हम कई दिनों से भारतीय सेना की इजाजत मिलने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पानी न मिलने पर हमारी धान की फसल कैसे होगी। 6 गांव वालों के लिए अभी चिंता की सबसे बड़ी वजह यही है। उन्होंने कहा कि जब सीजफायर होता था तो पाकिस्तान परेशान करने के लिए जानबूझकर पानी रोक देता था। अब गोलाबारी नहीं हो रही लेकिन पानी के लिए हम परेशान हैं।
साभार : नवभारत टाइम्स