क्या मांझी का मन डोल रहा? समझिए, किन मुद्दों पर लालू फैमिली से जोड़ सकते हैं पॉलिटिकल नाता

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पटना
बिहार की सियासत में मांझी का मन एक बार फिर डोल रहा है। हाल के दिनों में कुछ ऐसी घटनाएं इस बात की तस्दीक करती हैं। हालांकि सबकुछ कहने और करने के बाद जीतनराम मांझी आखिर में कह देते हैं कि वो एनडीए में हैं और एनडीए में ही रहेंगे। आखिरी लाइन सुनकर सत्ता में बैठे लोग चैन की सांस लेते होंगे।

मांझी के मन में क्या है?
जीतनराम मांझी पुराने कांग्रेसी रहे हैं, मुंह जलाने से बचना चाहते हैं। किसी भी मुद्दे को इतना लंबा खींचते हैं कि सामने वाला भी उकता जाता है। उसे भी लगता है कि रोज-रोज की किचकिच अच्छा है, मुक्ति पा लें। कम से कम कन्फ्यूजन तो नहीं रहेगा। पिछले कुछ दिनों से जीतनराम मांझी उसी एजेंडे पर आगे बढ़ रहे हैं। मांझी की ख्वाहिश थी कि उनको एक एमएलसी का सीट देते, कैबिनेट में एक मंत्री पद देते, मगर ऐसा हो नहीं पाया। इसके बाद मांझी पॉलिटिकल प्लान बनाने में जुट गए। बीच में कोरोना ने कुछ दिनों तक रास्ते को रोके रखा। अब मांझी पहले से ज्यादा फिट हैं, कोरोना भी थोड़ा ठंडा पड़ गया और राजानीतिक माहौल भी मुफीद है।

  • लालू यादव के सामाजिक न्याय की बातों से मांझी प्रभावित रहते हैं
  • जीतन राम मांझी को बिहार विधान परिषद में एक और सीट चाहिए
  • बिहार मंत्रिमंडल में जीतन राम मांझी एक और मंत्री पद चाहते हैं
  • बेटे संतोष मांझी के लिए दूसरी बार MLC की सीट रिजर्व चाहते हैं

लालू का मैसेज तेजप्रताप ने दिया?
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और तेजप्रताप यादव के बीच करीब 40 मिनट तक बंद कमरे में बातचीत हुई। मांझी से मुलाकात के बाद तेज प्रताप यादव ने कहा कि वह चाहते हैं कि सभी राजनीतिक दलों से युवाओं को आगे लाया जाए। जीतन राम मांझी ने कहा कि अगर युवाओं को राजनीतिक प्रशिक्षण देने के लिए कोई संस्था बनती है तो इसमें सभी राजनीतिक दलों को साथ आना चाहिए। जीतन राम मांझी ने कहा कि एनडीए छोड़कर जाने का सवाल पैदा नहीं होता। हालांकि राजनीति में तो भाई-भाई और मां-बेटे भी अलग हो जाते हैं। जीतन राम मांझी ने कहा कि तेजप्रताप के पहले उनके भाई तेजस्वी यादव और पिता लालू यादव भी उनके यहां आते रहे हैं।

मांझी का लालू प्रेम या नीतीश को चेतावनी?
जीतनराम लंबे समय तक लालू-राबड़ी सरकार में मंत्री भी रहे हैं। बाद में नीतीश कुमार के साथ आ गए। नीतीश कुमार ने तो मांझी को राजपाट ही सौंप दिया था। फिर पार्टी के दबाव में कुर्सी ले भी ली। तब मांझी ने बीजेपी की सवारी की। मगर वहां उनका मन नहीं लगा। लालू यादव ने फिर से मांझी को याद किया और मांझी दौड़े चले आए। लालू यादव ने जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन मांझी को बिहार विधान परिषद का सदस्य बना दिया।

2020 चुनाव आते-आते लालू यादव सक्रिय राजनीति से दूर होते चले गए और पार्टी की कमान लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने संभाल ली। जीतनराम मांझी की मांगें बढ़ती जा रही थी। उसे नौजवान तेजस्वी यादव तरजीह देने के मूड में नहीं थे। जब जीतन मांझी महागठबंधन से अलग हुए थे तो उन्होंने कहा था कि लालू प्रसाद यादव के कहने पर वह पार्टी गठबंधन में आए थे। उन्होंने तेजस्वी यादव पर आरोप लगाया था कि वह किसी की बात नहीं सुनते हैं। आखिकार मांझी एक बार फिर नीतीश के पाले में आ गए। सबकुछ ठीकठाक ही चल रहा था लेकिन मांझी का मन नहीं लग रहा। उनको एमएलसी के अलावा एक मंत्री पद भी चाहिए। मगर बात नहीं बनती देख, मांझी दूसरा गेम खेलने लगे। चूंकि इनको पता है कि नीतीश सरकार के पास बहुत दमदार बहुमत नहीं है। वो चाहें तो सरकार को हिला भी सकते हैं। इसमें उनको दूसरे सहयोगियों का भी साथ मिल सकता है।

मांझी को संभालने के लिए तेजप्रताप को कमान क्यों?
कहा जा रहा है कि लालू यादव ने बड़ी सोची-समझी रणनीति के तहत तेजप्रताप यादव को आगे किया है। इससे पहले भी तेजप्रताप मांझी से मिल चुके हैं। दोनों का आवास भी आसपास ही है। तेजप्रताप और तेजस्वी के व्यवहार में भी काफी अंतर है। लोगों का मानना है कि तेजस्वी से ज्यादा मिलनसार तेजप्रताप हैं। संबंधों को निभाने में भी तेजप्रताप को लोग तेजस्वी से बेहतर मानते हैं। मांझी ने जब महागठबंधन छोड़ी थी, तब भी उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया था। उन्होंने तेजस्वी पर किसी की बात नहीं सुनने और अपने मन की करने का आरोप लगाया था। शायद यही वजह है कि आरजेडी सुप्रीमो ने तेजप्रताप को मांझी को संभालने की कमान दे रखी है। एनबीटी सूत्रों के मुताबिक बंद कमरे में तेजप्रताप के सामने लालू यादव ने मांझी से करीब 10 मिनट तक बात भी की।

साभार : नवभारत टाइम्स

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