जरा याद करो कुर्बानी…! जब सेना के काफिले पर घात लगाकर किया गया हमला, 18 जवान हुए थे शहीद
करीब 50 हथियारबंद उग्रवादियों ने इस हमले को अंजाम दिया था। हमले के बाद खुफिया एजेंसियों पर भी सवाल उठे कि कैसे उन्हें इतनी बड़ी तादाद में उग्रवादियों के मूवमेंट का कुछ पता नहीं चला। अलगाववादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ने खुलेआम इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट पूर्वोत्तर के कई राज्यों में सक्रिय उग्रवादी संगठनों का एक गठबंधन है। उल्फा (आई) और एनएससीएन (खपलांग) जैसे संगठनों के साथ आने से इनकी क्षमता कई गुना बढ़ गई थी।
म्यांमार में घुसकर सेना ने की थी सर्जिकल स्ट्राइक
हमले के जवाब में भारत ने 9 जून 2015 को म्यांमार में सीमापार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। भारतीय सेना की कार्रवाई में एनएससीएन के 15-20 आतंकी मारे गए थे। इन्हीं आतंकियों पर सेना पर हुए हमले में शामिल होने का शक था। हालांकि म्यांमार सरकार इससे आज भी इनकार करती है कि 9 जून को उसकी सीमा में घुसकर भारतीय सेना ने ऐसी कोई कार्रवाई की थी।
हमले में डोगरा रेजिमेंट के ये जवान हुए थे शहीदनायब सूबेदार राम सिंह, हवलदार प्रकाश चंद, हवलदार सतपाल भसीन, हवलदार सुनील कुमार शर्मा, हवलदार राजेश कुमार, हवलदार रणदीप सिंह, हवलदार जगवीर सिंह, लांस नायक रजनीश सिंह, सिपाही राम प्रसाद यादव, लांस नायक कुलदीप राज, सिपाही मनोज कुमार, सिपाही विजय कुमार, नायक अशोक कुमार, सिपाही विकास भारद्वाज, सिपाही सोहन सिंह, सिपाही मनजीत सिंह, क्राफ्ट्समैन भारतेश्वर पी, सिपाही जीतेंद्र कुशवाहा
साभार : नवभारत टाइम्स