हाई कोर्ट बोला, 5G के खिलाफ जूही चावला की याचिका मीडिया पब्लिसिटी के लिए

हाई कोर्ट बोला, 5G के खिलाफ जूही चावला की याचिका मीडिया पब्लिसिटी के लिए
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नई दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश में 5 जी वायरलेस नेटवर्क स्थापित करने के खिलाफ अभिनेत्री-पर्यावरणविद् जूही चावला के मुकदमे को बुधवार को ‘‘दोषपूर्ण’’ करार दिया और कहा कि यह ‘‘मीडिया प्रचार’’ के लिए दायर किया गया है। न्यायालय ने चावला के सरकार को प्रतिवेदन दिये बिना 5जी वायरलेस नेटवर्क तकनीक को चुनौती देने के लिए सीधे अदालत आने पर भी सवाल उठाये।

उच्च न्यायालय ने तकनीक से संबंधित अपनी चिंताओं के संबंध में सरकार को कोई प्रतिवेदन दिये बगैर, देश में 5जी वायरलेस नेटवर्क स्थापित करने के खिलाफ जूही चावला के सीधे मुकदमा दायर करने पर सवाल उठाया। न्यायमूर्ति जे आर मिड्ढा ने कहा कि वादी चावला और दो अन्य लोगों को पहले अपने अधिकारों के लिए सरकार से संपर्क करने की आवश्यकता थी और यदि वहां इनकार किया जाता, तब उन्हें अदालत में आना चाहिए था।

अदालत ने यह भी पूछा कि वाद में 33 पक्षों को क्यों जोड़ा गया और कहा कि कानून के तहत इसकी अनुमति नहीं है। अदालत ने विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनने के बाद वाद पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अदालत ने कहा, ‘‘यह एक दोषपूर्ण वाद है। यह मुकदमा केवल मीडिया प्रचार के लिए दायर किया गया है और इससे ज्यादा कुछ नहीं। यह बहुत चौंकाने वाला है।’’

अदालत ने पूछा, ‘‘क्या आपने प्रतिवेदन के साथ सरकार से संपर्क किया? यदि हां तो कोई इनकार किया गया है क्या?’’ इस पर वादी के वकील ने नहीं में जवाब दिया। अदालत ने कहा कि वादी का कहना है कि ‘‘मुझे केवल पैराग्राफ एक से आठ की व्यक्तिगत जानकारी है।’’ न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘वादी को अभियोग के बारे में कोई व्यक्तिगत जानकारी नहीं है। मैं आश्चर्यचकित हूं। यह कैसे हो सकता है? क्या किसी वाद की अनुमति है जब वादी को उसके बारे में कोई व्यक्तिगत जानकारी ही नहीं है? मैंने ऐसा मुकदमा नहीं देखा है जिसमें कोई व्यक्ति कहे कि मुझे नहीं पता, कृपया जांच कराएं।’’

याचिका में दावा किया गया है कि इन 5जी वायरलेस प्रौद्योगिकी योजनाओं से मनुष्यों पर गंभीर, अपरिवर्तनीय प्रभाव और पृथ्वी के सभी पारिस्थितिक तंत्रों को स्थायी नुकसान पहुंचने का खतरा है। चावला, वीरेश मलिक और टीना वचानी ने याचिका दायर कर कहा है कि यदि दूरसंचार उद्योग की 5जी संबंधी योजनाएं पूरी होती हैं तो पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति, कोई जानवर, कोई पक्षी, कोई कीट और कोई भी पौधा इसके प्रतिकूल प्रभाव से नहीं बच सकेगा।

दूरसंचार विभाग की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अधिवक्ता अमित महाजन ने कहा कि 5जी नीति स्पष्ट रूप से कानून में निषिद्ध नहीं है। मेहता ने कहा कि वादी को यह दिखाने की जरूरत है कि यह तकनीक कैसे गलत है। निजी दूरसंचार कंपनियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि 5जी तकनीक सरकार की नीति है और चूंकि यह एक नीति है, इसलिए यह गलत कार्य नहीं हो सकता। वादियों की ओर से अधिवक्ता दीपक खोसला ने कहा कि 5जी तकनीक का क्रियान्वयन दूसरों की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए।

साभार : नवभारत टाइम्स

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