नौकरी गंवा चुके प्रवासी मजदूरों को दो वक्त का खाना देना सरकार की जिम्मेदारी: सुप्रीम कोर्ट

नौकरी गंवा चुके प्रवासी मजदूरों को दो वक्त का खाना देना सरकार की जिम्मेदारी: सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली
ने अपने अहम आदेश में कहा है कि देश भर के प्रत्येक राज्यों में प्रवासी मजदूरों के लिए कम्युनिटी किचन की व्यवस्था की जाए। अदालत ने कहा कि ये देश भर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है कि जो प्रवासी मजदूर अपनी नौकरी गंवा चुके हैं उनके लिए दोनों वक्त के खाने की व्यवस्था करे।प्रवासी मजदूरों के रजिस्ट्रेशन का काम जल्द से जल्द पूरा करने का भी निर्देश दिया है।

प्रवासी मजदूरों को सूखा राशन मुहैया कराए सरकारसुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली और एनसीआर में कम्युनिटी किचन शुरू करने और सूखा राशन मुहैया कराने का आदेश जारी किया गया था। अब देश भर के तमाम राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपना हलफनामा दायर किया है और कहा कि ये किया जा सकता है। सुप्रीम करो्ट ने देश भर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वह प्रवासी मजदूरों के लिए सूखे रासन मुहैया कराएं। प्रवासी मजदूर देश में कहीं भी हों उन्हें सूखा रासन आत्म निर्भर भारत स्कीम या किसी अन्य स्कीम के तहत मुहैया कराया जाए।

प्रवासी मजदूरों के लिए कम्युनिटी किचन की व्यवस्था करेंसुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने अपने 15 पेज के आदेश में कहा कि जहां तक कम्युनिटी किचन का सवाल है तो राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है कि जिन प्रवासी मजदूरों का रोजगार छिन गया है उन्हें दो वक्त का खाना मुहैया कराएं। और इसके लिए हम निर्देश जारी करते हैं कि देश भर के तमाम राज्यों द्वारा कम्युनिटी किचन की व्यवस्था की जाए जहां मजदूरों को रोजाना दो वक्त का खाना मिले। इसके लिए सरकार विज्ञापन देकर बताए कि कहां कम्युनिटी किचन बना हुआ है ताकि मजदूरों को वहां पहुंचने में आसानी हो और उसका लाभ उठा सकें।

मजदूरों के लिए कैश ट्रांसफर करे सरकार- याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता वकील प्रशांत भूषण ने ये भी दलील दी थी कि मजदूरों के लिए कैश ट्रांसफर की व्यवस्था की जाए। अदालत को कुछ राज्यों ने बताया कि कंस्ट्रक्शन वर्करों के लिए एक हजार से लेकर छह हजार तक कैश ट्रांसफर की स्कीम है लेकिन गैर संगठित वर्ग के लिए ये स्कीम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस पर आदेश नहीं जारी करेंगे लेकिन राज्यों से कहा है कि वह कैश ट्रांसफर स्कीम पर हलफनामा पेश कर बताएं कि क्या स्कीम है।

मजदूरों का रजिस्ट्रेशन प्रोसेस तेज किया जाए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रवासी मजदूरों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया काफी धीमी है । रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया निश्चित तौर पर तेज किया जाए ताकि कोविड के समय इन प्रवासी मजदूरों को बेनिफिट वाली योजनाओं का लाभ मिल सके। अदालत ने कहा कि प्रवासी मजदूरों और गैर संगठित क्षेत्रों के मजदूरों के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया तेज की जाए। रजिस्ट्रेशन के बाद ही अथॉरिटी से उनकी पहचान सुनिश्चित होगी और उन्हें तमाम बेनिफिट योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।

मजदूरों के लिए डेटा बेस बनाया जा रहासुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से कहा है कि गैर संगठित क्षेत्र के मजदूरों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जल्द पूरा किया जाए। एक कॉमन नैशनल डाटा बेस बने। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने गैर संगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए डाटा बेस बनाना शुरू किया है उसे राज्यों के सहयोग से जल्दी पूरा किया जाए ताकि रजिस्ट्रेशन में मदद मिलेगी और योजनाओं का लाभ मजदूरों को मिल सकेगा। केंद्र और राज्य संगठित क्षेत्र के मजदूरों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी जल्द पूरा करे। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि गैर संगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए डेटा बेस बनाया जा रहा है। राज्यों के साथ मिलकर उसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।

केंद्र सरकार को दो हफ्ते का समयसुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में केंद्र सरकार को दो हफ्ते में ब्यौरा देने को कहा है। अदालत ने सरकार से कहा है कि वह ऐसा मैकेनिज्म बनाए ताकि इस बात को मॉनिटर किया जा सके कि मजदूरों को वेलफेयर स्कीम के तहत बेनिफिट ग्राउंड लेवल पर पहुंच रहा है। अदालत ने कहा कि सरकार को जल्द से जल्द इस टास्क को पूरा करना होगा, हम मानते हैंं कि ये काम कठित है लेकिन इसे पूरा करना जरूरी है। हमारा मकसद ये है कि इन प्रवासी मजदूरों तक तमाम बेनिफिट स्कीम का लाभ पहुंच सके।

अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि पेपर पर सरकार कह रही है कि हजरों करोड़ आवंटन किया गया है। लेकिन मुद्दा ये है कि क्या ये असल लाभार्थियों तक पहुंच रहा है? ऐसे में आपको (सरकार) इस पूरी प्रक्रिया को मॉनिटर करना होगा। अदालत इस बात को लेकर चिंतित है कि संबंधित लाभार्थियों तक बेनिफिट का लाभ जल्दी पहुंचे। मामले की अगली सुनवाई अब 11 और 14 जून को होगी।

साभार : नवभारत टाइम्स

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