कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा युवाओं की मौत, विशेषज्ञों ने बताए तीन बड़े कारण

कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा युवाओं की मौत, विशेषज्ञों ने बताए तीन बड़े कारण
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

नई दिल्ली
कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में हाहाकार मचा दिया। हर दिन लाखों नए मामले और लगातार होने वाली मौतों ने सरकारों के भी हाथ-पांव फुला दिया। कोरोना की दूसरी वेव में सबसे ज्यादा युवाओं को नुकसान पहुंचाया। अगर आंकड़ों की मानें तो सबसे ज्यादा मौतें 45 से कम उम्र वालों की हुईं।

आईसीयू में भी ज्यादातर युवा भर्तीडॉक्टर और अस्पतालों की मानें तो पिछले साल की तुलना में कोविड की मौतों में युवा लोगों के बढ़ते अनुपात और आईसीयू में भर्ती मरीजों की औसत आयु 50 साल से कम देखी। इसके अलावा ऐसा भी नहीं था कि ये केवल उन राज्यों में हो जहां पर कोरोना का कहर ज्यादा है। हर प्रदेश में कोरोना से होने वाली मौतों और आईसीयू में भर्ती लोगों की औसत आयु 50 साल ने कम दर्ज की।

ज्यादातर मरीज 45 से नीचेगुड़गांव के आर्टेमिस अस्पताल में निदेशक क्रिटिकल केयर डॉ रेशमा तिवारी ने बताया, ‘हम इस लहर में युवा वयस्कों की अधिक संख्या देख रहे हैं। 60 से 70 प्रतिशत मरीज 60 से कम उम्र के हैं, जिनमें से आधे से अधिक 45 से नीचे हैं। आईसीयू में इस स्थिति में मृत्यु दर 20% के करीब है।’ तमिलनाडु के जन स्वास्थ्य निदेशालय द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों से पता चला है कि दूसरी लहर में बिना किसी गंभीर बीमारी के युवाओं की मौत ज्यादा हुई है।

हैप्पी हाइपोक्सिया मौत का बड़ा कारणविशेषज्ञों को लगता है कि युवाओं की मौत के तीन बड़े कारण हैं। पहला हैप्पी हाइपोक्सिया है। युवाओं के शरीर में जब ऑक्सिजन लेवल काफी गिर जाता है तो तब उनको सांस लेने में परेशानी होती है। तब तक स्थिति गंभीर हो जाती है। अस्पताल में भर्ती होने में देरी से इलाज मिलता है तो स्थितियां बिगड़ जाती हैं और बचने की संभावना कम हो जाती है। उदाहरण के लिए पटना के पारस अस्पताल में हाइपोक्सिया के सभी 47 रोगी वर्तमान में 30-35 आयु वर्ग के हैं।

दूसरा बड़ा कारणदूसरा बड़ा कारण है वैक्सीनेशन का। 45 से कम उम्र के लोग सबसे अधिक घूमते फिरते हैं। उन्हें टीका नहीं लगाया गया है। कोविड पर ओडिशा के तकनीकी सलाहकार डॉ जयंत पांडा ने कहा, ‘युवा वयस्कों में मौतें उनकी उच्च गतिशीलता और कम प्रतिरक्षा के कारण होती हैं क्योंकि उन्हें अभी तक टीका नहीं लगाया गया है।’

तीसरा कारणतीसरा कारण नया संस्करण तेज और घातक है। गुड़गांव के गहन चिकित्सक डॉ सुशीला कटारिया ने कहा कि इस प्रकार से संक्रमित लोगों में सबसे अधिक मौतें होती हैं।

साभार : नवभारत टाइम्स

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

WatchNews 24x7

Leave a Reply

Your email address will not be published.