DRDO के ऑक्सिजन प्लांट में होगी तेजस फाइटर की टेक्नॉलजी, 1 मिनट में बनेगा 1000 लीटर

DRDO के ऑक्सिजन प्लांट में होगी तेजस फाइटर की टेक्नॉलजी, 1 मिनट में बनेगा 1000 लीटर
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नई दिल्ली
कोरोना काल में देशभर में के बाद डीआरडीओ ने इस समस्या को सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) पीएम केयर फंड की मदद से सिर्फ तीन महीनों में ही 500 ऑक्सिजन प्लांट लगाने की तैयारी में है। जानकारी के मुताबिक, रक्षा संगठन ने प्लांट के निर्माण में तेजस लड़ाकू विमान में इस्तेमाल की गई तकनीकी का सहारा लिया है।

डीआरडीओ ने तेजस लड़ाकू विमान में एक ऐसी तकनीकी विकसित की है, जिसकी मदद से विमान में ऑनबोर्ड ऑक्सिजन जनरेट किया जा सकता है। ऐसे में डीआरडीओ के ऑक्सिजन प्लांट्स में इसी तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके जरिए प्लांट्स एक मिनट में एक हजार लीटर ऑक्सिजन का उत्पादन कर सकेंगे। बता दें कि इस तरह की टेक्नॉलजी में प्लांट सीधे वायुमंडल से ऑक्सिजन बनाता है। पूर्वोत्तर भारत के अलावा लद्दाख के इलाकों में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।

93 प्रतिशत सांद्रता वाला ऑक्सिजन
जिन प्लांट्स का निर्माण डीआरडीओ कर रहा है वह 93% सांद्रता वाली ऑक्सिजन तैयार करेगी, जिसे सीधे मरीजों को दिया जा सकेगा। डीआरडीओ के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने बताया कि पीएम केयर्स फंड के जरिए हमने टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड से 380 प्लांट मंगवाए हैं।

दिल्ली में स्थापित होंगे पहले पांच प्लांट्स
इसके अलावा सीएसआईआर उद्योगों से 120 संयंत्र मंगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि पहले 5 प्लांट दिल्ली में स्थापित किए जाएंगे, जिनमें से दो एम्स और आरएमएल अस्पताल में स्थापित किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 500 ऑक्सिजन प्लांट देश भर में अलग-अलग जिलों में स्थापित किए जाएंगे। आने वाले तीन महीनों में तकरीबन हर जिले में कम से कम एक प्लांट स्थापित किया जाएगा।

बता दें कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर चल रही है। संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने से कई राज्यों में अस्पतालों में ऑक्सीजन, जरुरी दवाओं, उपकरणों और बेड की कमी हो गयी है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि तय कार्यक्रम के मुताबिक 5 संयंत्रों में से दो के उपकरणों की खेप मंगलवार को दिल्ली पहुंच गयी और एम्स तथा आरएमएल अस्पताल में संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं।

साभार : नवभारत टाइम्स

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