केंद्र ने राज्यों से कहा- सभी अस्पतालों में ऑक्सिजन की खपत का ऑडिट कराएं
देश के विभिन्न भागों में जीवनरक्षक ऑक्सिजन की कमी के बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार को राज्यों से कहा है कि वे उपलब्ध ऑक्सीजन को महत्वपूर्ण वस्तु की तरह लें और निजी अस्पतालों समेत सभी अस्पतालों में ऑक्सिजन की खपत का ऑडिट करवाएं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस महामारी की शुरूआत से ही सरकार ने ऑक्सिजन वाले बिस्तरों की प्रमुख क्लीनिकल मदद के रूप में पहचान की थी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने अप्रैल -मई 2020 में ही राष्ट्रीय स्तर पर 1,02,400 ऑक्सिजन सिलेंडर खरीद लिए थे और उन्हें राज्यों के बीच बांट दिया गया था। अग्रवाल ने कहा,‘हम राज्यों से अपील कर चुके हैं कि उपलब्ध ऑक्सिजन को एक महत्वपूर्ण वस्तु की तरह लें और ऑक्सिजन का तार्किक उपयोग भी सुनिश्चित करें।’
केंद्र द्वारा आक्सिजन की आपूर्ति बढ़ाए जाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए अग्रवाल ने कहा कि नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने तरल चिकित्सा ऑक्सिजन की कीमत तय करने के लिए निर्देश जारी किए हैं।
उन्होंने बताया कि देशभर में 162 प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन (पीएसए) संयंत्रों को अनुमति दी गई है जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 154 मीट्रिक टन है। इनमें से 52 संयंत्र पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं तथा 87 की आपूर्ति हो गई है और इन्हें जल्द से जल्द चालू करने का काम जारी है।
अग्रवाल ने बताया कि राज्यों को 8,593 मीट्रिक टन ऑक्सिजन आवंटित की गई है। उन्होंने बताया, ‘1,27,000 ऑक्सिजन सिलेंडरों का ऑर्डर 21 अप्रैल को जारी किया गया गया था और इनकी आपूर्ति एकाध दिन में होने वाली है। इनमें 54,000 जंबो सिलेंडर और 73,000 सामान्य सिलेंडर हैं।’
उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त 551 पीएसए संयंत्र को मंजूरी दे दी गई है और इन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा। ये संयंत्र विभिन्न जन स्वास्थ्य केंद्रों में स्थापित किए जाएंगे।
अग्रवाल ने साथ ही बताया कि राज्यों को सलाह दी गई है कि वे ऑक्सिजन का तार्किक इस्तेमाल सुनिश्चित करें और मरीजों को अनावश्यक रूप से ऑक्सिजन न दें। साथ ही उन निजी स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों पर भी निगरानी रखें जो घरों पर कोविड केयर पैकेज मुहैया कराने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडरों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
साभार : नवभारत टाइम्स