EXCLUSIVE: मोदी ने 'ऐम्बुलेंस दादा' को गले लगाया, 'रुपयों वाले घर' के मालिक हैं करीमुल हक

EXCLUSIVE: मोदी ने 'ऐम्बुलेंस दादा' को गले लगाया, 'रुपयों वाले घर' के मालिक हैं करीमुल हक
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हिमांशु तिवारी/विश्व गौरव, जलपाईगुड़ी
पश्चिम बंगाल का जलपाईगुड़ी आज भी मूलभूत सुविधाओं से दूर है। जब
नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की टीम उर्फ ‘ऐम्बुलेंस दादा’ के घर पहुंची तो खस्ताहाल रास्तों को देखकर बाइक ऐम्बुलेंस की जरूरत समझ आई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बागडोगरा एयरपोर्ट में मुलाकात के बाद करीमुल हक के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। करीमुल हक उर्फ ‘ऐम्बुलेंस दादा’ ने हमें अपना ‘रुपयों वाला’ घर भी दिखाया।

लकड़ी का टूटा-फूटा हुआ घर जिसकी सीढ़ियां बहुत संकरी थीं। हम सीढ़ियों से कमरे तक पहुंचे। एक कमरे वाले घर के बाहर की दीवार पर ढेरों तमगे लटक रहे थे। करीमुल बताते हैं कि उन्हें विभिन्न कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाता है। जहां उन्हें सम्मान देते हुए तमगा उनकी शर्ट से लटका दिया जाता है। फिर करीमुल उन तमगों को किसी दीवार पर लटका देते हैं। इस तरह से दीवार अलग-अलग रंगों से सज चुकी है।

दीवार पर चस्पा हैं सिम्बॉलिक चेक
अब हम करीमुल के कमरे में दाखिल हुए। जहां तकरीबन 4 से 5 सिम्बॉलिक चेक (symbolic cheque) दीवारों पर चस्पा थीं। करीमुल बताते हैं, ‘ये चेक मुझे समाजसेवा के लिए अलग-अलग संगठनों की तरफ से दी गई। किसी ने 21 हजार रुपये दिए तो कुछ लोगों ने 31 हजार रुपये भी सराहना के लिए दिया। मैंने ओरिजनल चेक को बैंक में लगाकर पैसा निकाल लिया ताकि जरूरतमंदों के लिए अस्पताल बना सकूं। बाकी घर टूटा हुआ है तो बारिश के मौसम में पानी टपकता है। ऐसे में सिम्बॉलिक चेक को दीवार पर चिपका दिया ताकि पानी न आए। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कैसे रहें। हां, मेरा उद्देश्य एक ही है कि लोगों को एक अच्छा अस्पताल मिल सके। बस इसी ख्वाब के साथ पूरी शिद्दत से अस्पताल तैयार करा रहा हूं।’

‘परिवार का पूरा साथ मिलता है…’करीमुल हक उर्फ ‘ऐम्बुलेंस दादा’ ने कहा, ‘इन सिम्बॉलिक चेक को देखकर लोग इसे रुपयों वाला घर कहते हैं। बस मैंने भी इसे रुपयों वाला घर कहना शुरू कर दिया। कई लोग मुझे अलग-अलग कार्यक्रम में बुलाते हैं, कुछ तो पैसे भी मांगते हैं लेकिन मैं उन्हें पैसे कहां से दूं क्योंकि मैं खुद ही बहुत सामान्य तरीके से जी रहा हूं।’ करीमुल के परिवार में उनकी पत्नी अंजुआरा बेगम और चार बच्चे (दो लड़के और दो लड़कियां) हैं। करीमुल बताते हैं कि समाजसेवा के इस काम में उनके दोनों बेटों के साथ पत्नी भी पूरा साथ देती हैं।

साभार : नवभारत टाइम्स

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