असम के नतीजों से पहले ही कांग्रेस को कैसा डर? जयपुर भेजे गए महाजोत के 22 उम्मीदवार

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गुवाहाटी
असम विधानसभा चुनाव () के नतीजे आने से पहले ही कांग्रेस गठबंधन (congress alliance) के भीतर सुगबुगाहट तेज हो गई है। अपने विधायकों को बीजेपी के पाले में खिसकने की संभावना से डरी हुई कांग्रेस पार्टी ने अपने 22 उम्मीदवारों को जयपुर के एक रिसॉर्ट में भेज दिया है। बताया जा रहा है कि कई और कांग्रेस उम्मीदवारों को यहां शिफ्ट किया जाएगा। इनमें कुछ एआईयूडीएफ के गैर-कांग्रेसी उम्मीदवार भी शामिल हैं। बता दें कि तीन चरणों की वोटिंग के बाद बीते 6 अप्रैल को असम में मतदान खत्म हो गया था। अब 2 मई को चुनाव के नतीजे आने हैं।

परिणाम घोषित होने से पहले ही कांग्रेस के अंदरखाने में खलबली मची है। पार्टी के उम्मीदवार नतीजे आने के बाद बीजेपी के खेमे में न चले जाएं, इसके लिए कांग्रेस पहले से ही एहतियात बरत रही है। इस क्रम में पार्टी के 22 उम्मीदवारों को जयपुर शिफ्ट किया गया है। यहां फेयरमॉन्ट होटल में इनकी व्यवस्था की गई है। बताया जा रहा है कि एहतियात के तौर पर एआईयूडीएफ (महाजोत) गठबंधन की ओर से संयुक्त रूप से यह कदम उठाया गया है। मतलब कि कांग्रेस विधानसभा उम्मीदवारों के अलावा गठबंधन के कुछ गैर-कांग्रेसी उम्मीवार भी जयपुर शिफ्ट किए गए हैं।

पहले भी चर्चा में रहा है फेयरमॉन्ट होटल
महाजोत के विधायकों को जयपुर के जिस होटल में शिफ्ट किया गया है, वह पहले भी चर्चा में रह चुका है। फेयरमॉन्ट होटल पहली बार तब सुर्खियों में आया था, जब राजस्थान में सचिन पायलट के बागी तेवरों की वजह से पार्टी के भीतर उथल-पुथल मची थी और विधायकों को दलबदल के डर से इस रिसॉर्ट में भेज दिया गया था। तब पायलट का दावा था कि उनके पास 30 कांग्रेस विधायकों का समर्थन है, जो अगर बागी होते हैं, तो अशोक गहलोत की सरकार पर संकट आ सकता है। हालांकि, तब कांग्रेस आलाकमान के हस्तक्षेप से मामले को सुलझा लिया गया था।

कांग्रेस को किस बात का डर?
माना जाता है कि असम में बीजेपी विपक्षी दलों के नाराज नेताओं की मदद से ही सत्ता तक पहुंची है। साल 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में बीजेपी के सिर्फ 5 विधायक थे। लेकिन सिर्फ पांच साल बाद हुए साल 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने मुख्य प्रतिद्वंदी कांग्रेस को बड़े अंतर से हरा दिया। इस विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के करीबी माने जाने वाले हिमंता बिस्व सरमा ने पार्टी छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था।

सरमा को कांग्रेस पार्टी की अंदरुनी कमियों और मजबूती के बारे में पूरी जानकारी थी। इसका फायदा बीजेपी ने उठाया और पहली बार असम की सत्ता में काबिज होने में सफल रही। पूर्वोत्तर के मणिपुर राज्य में भी कांग्रेस के बागी नेताओं को पार्टी में शामिल कर बीजेपी ने शासन पर कब्जा किया है। ऐसे में कांग्रेस इस बार इस तरह की किसी भी संभावना को सिर उठाने का मौका नहीं देना चाहती। यही कारण है कि अभी नतीजे घोषित नहीं किए गए हैं लेकिन पार्टी ने अपने विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए उन्हें कांग्रेस शासित राज्य के एक रिसॉर्ट में भेज दिया है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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