कोबरा कमांडो रिहा, घर पर लगा मेला, पत्नी बोलीं- मेरी जिंदगी में सबसे खुशी का दिन
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के हाथों अगवा हुए कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास गुरुवार को रिहा हो गए हैं। यह खबर जैसे ही जम्मू तक पहुंची तो परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। घर के बाहर उमड़ी भीड़ और भारत माता की जय के नारों से हर कोई विजय घोष करता दिखा। वहीं राकेश्वर सिंह की पत्नी मीनू मन्हास ने कहा कि आज मेरी जिन्दगी में सबसे खुशी का दिन है। इसके लिए मैं भगवान का, केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार का, मीडिया और सेना का धन्यवाद करती हूं।
दरअसल शनिवार को छत्तीसगढ़ के तर्रेम क्षेत्र में मुठभेड़ के बाद नक्सलियों ने कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह को बंधक बना लिया था। गुरुवार को दोपहर बाद करीब 4 बजे नक्सलियों ने कमांडो राकेश्वर सिंह को छोड़ दिया। राकेश्वर सिंह की रिहाई की खबर जम्मू स्थित उनके घरवालों तक भी पहुंचाई गई। परिवार वालों को जैसे ही रिहाई की खबर मिली तो सबने ऊपरवाले को याद करते किया। कोबरा कमांडो की सकुशल रिहाई की खबर मिलते ही आसपास के लोग राकेश्वर सिंह के घर पहुंचे। लोगों ने उनकी पत्नी मीनू मन्हास और मां कुंती देवी को बधाई दी।
जवान की पत्नी बोलीं- हमने हिम्मत नहीं हारी
मीनू मन्हास ने कहा कि बीते कुछ दिन हमने बहुत मुश्किल में गुजारे। लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी। हालांकि उन्हें हमेशा उम्मीद थी कि राकेश्वर वापस आएंगे। उन्होंने बताया कि जब नक्सलियों ने कहा कि राकेश्वर को उन लोगों ने किडनैप कर लिया है, तो आस जगी थी। उन्होंने कहा कि राकेश्वर की सुरक्षित रिहाई के लिए मैं सबका धन्यवाद करती हूं।
पति की रिहाई सुन खुशी के मारे रो पड़ी मीनू मन्हास
उधर, कोबरा कमांडो की रिहाई पर उनकी पत्नी पत्नी मीनू मन्हास खुशी के मारे रो पड़ी। उन्होंने बताया कि आज मेरी जिन्दगी में सबसे खुशी का दिन है। इतने दिनों के सारे गम पल भर में गायब हो गए हैं। अब बस उनकी आवाज सुनना चाहती हूं। मीनू मन्हास ने कहा कि मैं भगवान का, केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार का, मीडिया और सेना का धन्यवाद करती हूं।
राकेश्वर सिंह की मां बोलीं- मैं बहुत खुश, सबका धन्यवाद
राकेश्वर सिंह मन्हास की मां कुंती देवी की खुशी का ठिकाना नहीं था। मां कुंती ने कहा कि हम बहुत ज्यादा खुश हैं। जो हमारे बेटे को छोड़ रहे हैं उनका भी धन्यवाद करती हूं। भगवान का भी धन्यवाद करती हूं। जब सरकार की बात हो रही थी तो मुझे थोड़ा भरोसा तो था परन्तु विश्वास नहीं हो रहा था।
साभार : नवभारत टाइम्स