पत्नी को नहीं दे पाया गुजारा भत्ता तो सुप्रीम कोर्ट ने भेजा जेल, कहा- इस शख्स ने अपनी विश्वसनीयता खो दी

पत्नी को नहीं दे पाया गुजारा भत्ता तो सुप्रीम कोर्ट ने भेजा जेल, कहा- इस शख्स ने अपनी विश्वसनीयता खो दी
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नयी दिल्ली
उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने गुजारा भत्ता के तौर पर 1.75 लाख रुपये प्रति माह के साथ-साथ 2.60 करोड़ रुपये की बकाया राशि अपनी अलग रह रही पत्नी को अदा नहीं करने पर अदालत की अवमानना के लिये एक व्यक्ति तीन महीने की कैद की सजा सुनाई है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि पति को पहले ही लंबा समय दिया गया था और उसने अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता की रकम अदा करने के लिए उस अवसर का सदुपयोग नहीं किया।

अदालत ने पर्याप्त दिया था समयप्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने अपने एक हालिया आदेश में कहा, ‘हम पहले ही (प्रतिवादी को) लंबी मोहलत दे चुके हैं। प्रतिवादी (पति) ने दिये गये अवसर का सदुपयोग नहीं किया। इसलिए, हम प्रतिवादी को इस अदालत की अवमानना करने को लेकर दंडित करते हैं और उसे तीन महीने की कैद की सजा सुनाते हैं।’ पीठ ने कहा कि व्यक्ति ने 19 फरवरी के पीठ के आदेश का अनुपालन नहीं किया, जब उसे गुजारा भत्ता की समूची बकाया राशि के साथ-साथ शीर्ष अदालत द्वारा पूर्व में तय की गई मासिक गुजारा भत्ता की रकम अदा करने का अंतिम अवसर दिया गया था।

2.60 करोड़ रुपये बकाया राशि अदा करने का मौकान्यायालय ने 19 फरवरी को कहा था कि कोई व्यक्ति अपनी अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता देने की जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकता है।
पीठ ने एक व्यक्ति को उसकी पत्नी को 2.60 करोड़ रुपये की पूरी बकाया राशि अदा करने का अंतिम मौका देते हुए यह कहा था। साथ ही, मासिक गुजारा भत्ता के तौर पर 1.75 लाख रुपये देने का भी आदेश दिया था। पीठ ने तमिलनाडु निवासी व्यक्ति की एक पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी।

कोर्ट ने जताई हैरानीयह व्यक्ति एक दूरसंचार कंपनी में राष्ट्रीय सुरक्षा की एक परियोजना पर काम करता है। उसने दलील दी थी कि उसके पास पैसे नहीं है और रकम का भुगतान करने के लिए दो साल की मोहलत मांगी थी। इस पर, शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि उसने न्यायालय के आदेश का अनुपालन करने में बार-बार नाकाम रह कर अपनी विश्वसनीयता खो दी है। न्यायालय ने हैरानगी जताते हुए कहा था कि इस तरह का व्यक्ति कैसे राष्ट्रीय सुरक्षा की परियोजना से जुड़ा हुआ है।

अदालत ने पहले आदेश में दिया था समय पीठ ने अपने आदेश में कहा था, ‘हम पूरी लंबित राशि के साथ-साथ मासिक गुजारा भत्ता नियमित रूप से अदा करने के लिए अंतिम मौका दे रहे हैं…आज से चार हफ्तों के अंदर यह दिया जाए, इसमें नाकाम रहने पर प्रतिवादी को दंडित किया जा सकता और जेल भेज दिया जाएगा। ’न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद के लिए निर्धारित कर दी थी। न्यायालय ने कहा था, ‘‘रकम का भुगतान नही किये जाने पर अगली तारीख पर गिरफ्तारी आदेश जारी किया जा सकता है और प्रतिवादी को जेल भेजा सकता है।’’

1.75 लाख रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने को कहा न्यायालय ने इस बात का जिक्र किया था कि निचली अदालत ने व्यक्ति को 2009 से गुजारा भत्ता की लंबित बकाया राशि करीब 2.60 करोड़ रुपये और 1.75 लाख रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने को कहा था। उसने लंबित रकम में 50,000 रुपये ही दिया है। पति ने न्यायालय से कहा कि उसने अपना सारा पैसा दूरसंचार क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी एक परियोजना के अनुसंधान एवं विकास में लगा दिया है।

2009 से चल रहा है मामला पीठ ने व्यक्ति को पैसा उधार लेने या बैंक से कर्ज लेने तथा अपनी पत्नी को एक हफ्ते के अंदर गुजारा भत्ता की लंबित राशि एवं मासिक राशि अदा करने को कहा था, अन्यथा उसे सीधे जेल भेज दिया जाएगा। हालांकि, व्यक्ति के वकील के अनुरोध पर पीठ ने उसे चार हफ्ते की मोहलत दी थी।गौरतलब है कि पत्नी ने 2009 में चेन्नई की एक मजिस्ट्रेट अदालत में अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था।

साभार : नवभारत टाइम्स

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