विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक की याचिका खारिज

विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक की याचिका खारिज
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नई दिल्ली
ने पांच राज्यों के आगामी से पहले की बिक्री पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडूचेरी विधानसभ चुनाव से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई ती।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि 2018 में ये स्कीम लाई गई थी और 2018, 2019 और 2020 में इलेक्टोरल बॉन्ड बिना किसी अवरोध के रिलीज की गई थी और ऐसे में हम इस स्टेज पर इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक का कोई कारण नहीं देखते और ऐसे में एडीआर की अर्जी खारिज की जाती है।

मामले की सुनवाई के दौरान 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड के किसी भी संभावित दुरुपयोग के मामले को देखे। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अगुवाई वाली बेंच ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। एडीआर ने अर्जी दाखिल कर कहा था कि आगमी विधानसभा चुनाव के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाई जाए।

चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अगुवाई वाली बेंच ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा था कि हम इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं जो कह रहे हैं लेकिन ये सवाल है कि क्या फंड का दुरुपयोग आतंकवाद के लिए किया जा रहा है, हम चाहते हैं कि इस मामले को सरकरा देखे। याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि हम कोर्ट का ध्यान आरबीआई के गवर्नर द्वारा सरकार को लिखे लेटर पर लाना चाहते हैं जिसमें कहा गया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम खतरों से भरा हुआ है और इससे भारत के वित्तीय सिस्टम पर विपरीत असर हो सकता है।

आरबीआई के लेटर में कहा गया है कि डोनर कौन है सिर्फ बैंक जानता है यहां तक कि चुनाव आयोग को भी नहीं पता है। स्कीम का गलत इस्तेमाल हो सकता है और सीमा पार के नकली नोटों का भी गलत इस्तेमाल हो सकता है। चीफ जस्टिस ने कहा था कि आरबीआई ने कहा है कि वह कुुछ कदम उठाएगी। उन्होंने कहा है कि डीमेट के फॉर्म में ये सही है। भूषण ने इस पर कहा था कि आरबीआई ने लेकिन ये भी कहा है कि ये गंभीर खतरे का मामला है मनी लॉन्ड्रिंग की भी बात कही गई है।

भूषण ने ये भी दलील दी थी कि अगर ये डीमेट फॉर्म में होगा और बेनाम या अज्ञात होगा तो ये सीधे तौर पर रिश्वत की तरह ह ोगा और ये राजनीतिक पार्टियों को काम के बदले में होगा।सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि क्या सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने जा रही है। तब अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि स्कीम एक अप्रैल से 10 अप्रैल के बीच खुलने जा रहा है इससे पहले चुनाव आयोग से इजाजत ली गई है।

असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की ओर से 2017 से पेंडिंग इस मामले में आवेदन दाखिल कर केंद्र सरकार को इस बाबत निर्देश देने की गुहार लगाई थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री ओपन न करे। सुप्रीम कोर्ट में असोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की ओर से इलेक्टोरल बॉन्ड को चुनौती दी गई है। इसके तहत राजनीतिक पार्टियों को फंडिंग की जाती है।

याचिका में कहा गया है कि इस बॉन्ड का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कॉरपोरेट ने खरीदा था और पार्टियों को दिया है ये लोग इसके जरिये नीतिगत फैसले को प्रभावित कर सकते हैं। 27 मार्च 2019 को राजनीतिक पार्टियों को फंडिंग के लिए लाए गए इलेक्टोरल बॉन्ड के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड के कारण राजनीतिक पार्टियों की फंडिंग की पारदर्शिता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।

साभार : नवभारत टाइम्स

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