वझे के घर में हथियारों का ज़खीरा, NIA रेड में मिले 62 जिंदा कारतूस…आखिर क्या थी मंशा?
एंटीलिया विस्फोटक और मनसुख हत्या मामले () की जांच कर रही एनआईए ने आज चौंकाने वाला खुलासा किया है। एनआईए के मुताबिक गिरफ्तार एपीआई सचिन वझे (Sachin Waze) के घर से उन्हें जांच में 62 जिंदा कारतूस मिले थे। यह कारतूस वझे ने घर में क्यों रखे थे। इसका जवाब वो नहीं दे पाए हैं। आखिर इतने सारे कारतूस को घर में रखने के पीछे की वजह क्या थी? यह तमाम बातें अभी भी सवाल ही हैं। यह जानकारी एनआईए (NIA) ने अदालत में दी है। वहीं सचिन वझे ने अदालत में कहा कि उसे इस मामले में ‘बलि का बकरा’ बनाया जा रहा है। फ़िलहाल अदालत ने इस मामले सचिन वझे को 3 अप्रैल तक एनआईए की हिरासत में भेजा है।
एनआईए ने बताया कि इसके अलावा सचिन वझे को 30 जिंदा कारतूस बतौर पुलिस अधिकारी सरकारी कोटे से भी दिए गए थे। हालांकि इनमें से सिर्फ पांच गोलियां ही सचिन वझे के पास मिली हैं। बाकी की 25 गोलियां गायब हैं। ये कारतूस कहां गए? इनका क्या इस्तेमाल हुआ? इस बारे में भी सचिन वझे ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया है।
वझे के क्रिमिनल माइंड से हैरान पुलिस
इस मामले ने ना सिर्फ मुंबई महाराष्ट्र (Maharashtra) बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया है क्योंकि इस पूरी साजिश में एक पुलिस अधिकारी शामिल है। जिसने इस पूरी घटना की साजिश रची और उसे अपने सहयोगियों के जरिए अंजाम दिया।
वझे की रिमांड बढ़ाने की अर्जी
अदालत में सचिन वझे की कस्टडी को और बढ़ाने की मांग की है। एनआईए ने इस बाबत कई अहम ग्राउंड दिए हैं। जिसकी बिना पर वह कस्टडी बढ़ाने की मांग कर रही है। एनआईए ने कहा कि मनसुख हत्या मामले में गिरफ्तार दोनों आरोपियों को सचिन वझे के साथ आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करनी है। जांच एजेंसी ने बताया कि आरोपी वझे का ब्लड सैंपल लिया गया है जिसे गाड़ी से रिकवर किए गए फॉरेंसिक टीम से मैच करवाना है।
साजिश में इस्तेमाल की गई 5 गाड़ियों का भी सैंपल लिया गया है। जिसकी डीएनए प्रोफाइलिंग की जा रही है। आरोपी ने इस मामले में डीवीआर को भी गायब कर दिया है। इसके अलावा पांच सितारा होटल में रूम बुक करने के लिए जिस व्यक्ति ने 12 लाख रुपए दिए गए थे उससे से आमने सामने की पूछताछ करनी है। । एनआईए ने अदालत को बताया कि आरोपी का वॉयस सैंपल और वीडियो फुटेज फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।
वझे के वकील की दलील
वहीं आरोपी सचिन वझे के वकील ने अदालत में दलील दी है कि एनआईए यह साबित करें कि इस मामले में यूएपीए (UAPA) कैसे लग सकता है। उन्होंने कहा जिलेटिन की छड़ों बिना डेटोनेटर के बम नहीं बन सकती हैं। सिर्फ़ जिलेटिन की रॉड को हैंडल करना काफी आसान है। यह केस इंडिविजुअल के खिलाफ है ना कि पूरे समाज के खिलाफ।
यूएपीए में खतरा पूरे समाज को होता है, पूरे देश की एकता को खतरा होता है लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है। इस मामले में देश की अखंडता को भी किसी प्रकार की इसी प्रकार की चोट नहीं पहुंच रही है। वकील ने यह भी कहा कि आरोपी का इंटेंट भी इस मामले में देखा जाना चाहिए। यूएपीए लगाने के बहुत क्लॉज होते हैं जिनका पालन जांच एजेंसी ने नहीं किया है।
साभार : नवभारत टाइम्स