मिजोरम में ड्रग्स ले चुका 1645 जानें, असम राइफल्स कर रही है युवाओं को नशे से बचाने की कोशिश

मिजोरम में ड्रग्स ले चुका 1645 जानें, असम राइफल्स कर रही है युवाओं को नशे से बचाने की कोशिश
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आइजॉल
पिछले साल जब कोरोना से जंग में देश लॉकडाउन की स्थिति में था तब में ड्रग्स ने 67 लोगों की जान ले ली। आंकड़ों के मुताबिक ड्रग्स एडिक्ट का सबसे ज्यादा प्रतिशत मिजोरम में हैं। 1984 से ड्रग्स के दंश को झेल रहे मिजोरम में अब तक ड्रग्स 1645 लोगों की जान ले चुका है।

यहां उग्रवादी संगठन न होने से शांति है, लेकिन यहां बॉर्डर गार्डिंग फोर्स असम राइफल्स के सामने एक बड़ी चुनौती तस्करी को रोकने की है। म्यांमार के रास्ते यहां ड्रग्स से लेकर सोना, हथियार और प्रतिबंधित चीजों की तस्करी किस तरह तेजी पकड़ रही है, ये इससे जाहिर होता है कि इस साल अब तक 45 करोड़ रुपये कीमत के ड्रग्स और प्रतिबंधित चीजें पकड़ी गई हैं।

तस्करों को लगता है फायदे का रास्ता
मिजोरम में म्यांमार से लगते नॉर्थ ईस्ट के दूसरे राज्यों के मुकाबले शांति है। यहां कोई उग्रवादी संगठन सक्रिय नहीं है। तस्करों को यह फायदे का रास्ता लगता है। जहां उग्रवादी संगठन हैं वहां तस्करों को उग्रवादी संगठनों को भी टैक्स देना होता है लेकिन म्यांमार से मिजोरम के रास्ते उन्हें ज्यादा मुनाफा लगता है। लेकिन असम राइफल्स यहां पूरी तरह मु्स्तैद है और तस्करों को पकड़ रही है। मिजोरम का 510 किलोमीटर का एरिया म्यांमार बॉर्डर से लगता है और बॉर्डर खुला है यानी कोई तारबंदी नहीं है। ऐसे में गश्ती भी यहां चुनौती भरा है।

ड्रग्स, हथियार, सोना की तस्करी
असम राइफल्स ने यहां 2020 में 21 किलो हेरोइन, 130 किलो मरिजुवाना और मेथामेफटेमाइन टेबलेट पकड़ी, जिसकी कीमत करीब 47 करोड़ रुपये थी। 46-असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी ने बताया कि मेथामेफटेमाइन टेबलेट यानी याबा टेबलेट की मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु में भारी डिमांड है और ये टेबलेट जिसकी कीमत म्यांमार में 10-20 रुपये है ये महानगरों तक पहुंचते पहुंचते 2000 रुपये की हो जाती है।

चीन से म्यांमार के रास्ते सोने की भी तस्करी हो रही है। 2020 में मिजोरम में 8 किलो से ज्यादा सोना रिकवर किया गया और देश के दूसरे हिस्सों में 70 किलो सोना रिकवर किया गया, माना जा रहा है कि ये मिजोरम के रास्ते ही वहां तक पहुंचा। पिछले साल मिजोरम में 30 एके47 असॉल्ट राइफल, दो चाइनीज पिस्टल, एक एयर राइफल, 600 राइफल स्कोप्स और 1.5 लाख डिटोनेटर बरामद हुए। जहां हथियार तस्करी कर उग्रवादी संगठनों तक पहुंचाने की कोशिश होती है वहीं ड्रग्स मिजोरम के लोगों को निगल रहा है।

ड्राई स्टेट में ड्रग्स की लत
असम राइफल्स के मिजोरम सेक्टर के कमांडर ब्रिगेडिर दिग्विजय सिंह ने कहा कि मिजोरम ड्राई स्टेट है (यानी यहां शराबबंदी है)। ड्रग्स सस्ता और आसानी से मिल जाता है जिसका सोसाइटी पर असर पड़ रहा है। कुछ लोग जहां ड्रग्स के शिकार बना रहे हैं वहीं युवा तस्करों के चंगुल में भी फंस रहे हैं। यहां असम राइफल्स युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए कई कार्यक्रम चला रहा है।

46-असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी ने बताया कि असम राइफल्स कई एनजीओ के साथ मिलकर एंटी ड्रग्स कैंपेन चला रही है साथ ही युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए तैयार भी कर रहे हैं। रिक्रूटमेंट रैली के लिए युवाओं को सिर्फ फिजिकल ट्रेनिंग ही नहीं दी जाती बल्कि लिखित परीक्षा की तैयारी भी कराई जाती है। जो युवा मिजोरम के दूर के इलाकों से आते हैं, उन्हें यहीं हॉस्टल में रखकर ट्रेंड किया जाता है। उनके रहने, खाने का पूरा इंतजाम फ्री में किया जाता है और साथ ही ट्रेनिंग दी जाती है। इसी तरह मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में एंट्री के लिए कॉलेज की लड़कियों को भी कोचिंग कराई जा रही है। युवा नशे से दूर रहें इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग और कोचिंग में आने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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