'50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण न्यायसंगत', जानें मेघालय सरकार ने SC में क्या कहा

'50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण न्यायसंगत', जानें मेघालय सरकार ने SC में क्या कहा
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नई दिल्लीमराठा रिजर्वेशन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान मेघालय सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई कि अति विशेष परिस्थितियों में 50 फीसदी से ज्यादा रिजर्वेशन देना न्यायसंगत है। मेघालय ने कहा कि अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या जहां 85 फीसदी से ज्यादा है वहां 50 फीसदी से ज्यादा रिजर्वेशन देना जस्टिफाईड है।

राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि मेघालय में जनजातियों की संख्या 85.9 फीसदी है और यह 2001 के जनगणना के हिसाब से है। अति विशेष परिस्थितियों में 50 फीसदी की सीमा पार की जा सकती है। मराठा रिजर्वेशन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की ओर से दलील दी गई थी कि राज्य ने मराठा को जो रिजर्वेशन दिया है वह फैसला संवैधानिक है और संविधान के 102 वें संशोधन से राज्य के विधायी अधिकार खत्म नहीं होता है।

केंद्र सरकार ने कहा था कि 102 वें संशोधन से राज्य की वह शक्ति खत्म नहीं होती जिसके तहत राज्य सरकार सामाजिक और आर्थिक तौर पर बैकवर्ड क्लासेज (एसईबीसी) घोषित करती है। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच मराठा रिजर्वेशन मामले की सुनवाई कर रही है। जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि वह इस बात का परीक्षण करेगा कि क्या इंदिरा साहनी जजमेंट यानी मंडल जजमेंट को दोबारा देखने की जरूरत है या नहीं। क्या मंडल जजमेंट को लार्जर बेंच को भेजने की जरूरत है या नहीं। इंदिरा साहनी जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन के लिए 50 फीसदी की लिमिट तय कर रखी है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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