केंद्र के कानून के खिलाफ राज्य विधानसभा पास कर सकती है प्रस्ताव? SC में उठा सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई टाल दी है जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार के बनाए कानून पर अलग-अलग राज्य विधानसभाओं में प्रस्ताव पारित कर उसकी आलोचना की जाती है। इस तरह से विधानसभा की तरफ से केंद्र के कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने सवाल उठाते हुए अर्जी दाखिल की गई है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा है कि वह इस मामले में ज्यादा रिसर्च करें। अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा है कि आप व्यापक स्टडी करें इस दौरान अदालत ने चार हफ्ते के लिए सुनवाई टाल दी है। अदालत ने कहा कि हम मामले को इस दौरान देखते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया है कि क्या राज्य विधानसभा प्रस्ताव पारित कर 7वीं अनुसूची के तहत केंद्र की तरफ से बनाए गए कानून की आलोचना कर सकती है। क्या संवैधानिक दायरे में ऐसा हो सकता है? दरअसल, और तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ कुछ राज्यों की विधानसभाओं ने प्रस्ताव पारित किए थे।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि पश्चिम बंगाल, केरल, पंजाब, राजस्थान विधानसभा में केंद्र द्वारा बनाए गए सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर निंदा की गई है। क्या ऐसी आलोचना करना लोगों के अधिकारों का हनन नहीं है क्योंकि ये कानून संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से पास हुआ था और राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिली थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि हाल में पश्चिम बंगाल विधानससभा में एग्रीकल्चर बिल के खिलाफ भी प्रस्ताव पारित कर आलोचना की गई।
साभार : नवभारत टाइम्स