मराठा समुदाय महाराष्ट्र में प्रभावशाली, आरक्षण के खिलाफ याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दी दलील

मराठा समुदाय महाराष्ट्र में प्रभावशाली, आरक्षण के खिलाफ याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दी दलील
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नई दिल्ली
मराठा रिजर्वेशन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान में याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी है कि महाराष्ट्र में मराठा प्रभावशाली हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि सामाजिक और राजनीतिक तौर पर मराठा प्रभावशाली हैं और महाराष्ट्र में करीब 40 फीसदी एमपी और एमएलए मराठा कम्युनिटी के हैं।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली संवैधानिक बेंच के सामने इस मसले पर सुनवाई चल रही है कि क्या इंदिरा साहनी जजमेंट को दोबारा देखने की जरूरत है या नहीं? क्या इंदिरा साहनी जजमेंट को लार्जर बेंच रेफर करने की जरूरत है या नहीं। इंदिरा साहनी जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच ने कहा था कि रिजर्वेशन की ऊपरी सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होगी।

याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप संचेती ने दलील दी कि 40 फीसदी एमपी और एमएलए मराठा कम्युनिटी से आते हैं। उन्होंने एमजी गायकवाड़ कमिटी की उस रिपोर्ट पर विरोध जताया जिसमें कहा गया था कि मराठा सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़ा हुआ है और उनका सरकारी नौकरी में काफी कम प्रतिनिधित्व है। याची के वकील ने कहा कि गायकवाड़ कमिटी की रिपोर्ट कागजी काम है। अगर किसी भी तरह से मराठा को पिछड़ा माना भी जाता है तो भी ओबीसी में उसे शामिल कर अधिकतम रिज्रवेशन 50 फीसदी के दायरे में हो। 50 फीसदी के दायरे से बाहर जाकर रिजर्वेशन नहीं होना चाहिए।

8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह इस बात की जांच करेगा कि क्या 1992 में दिए गए इंदिरा साहनी जजमेंट को दोबारा देखने की जरूरत है या नहीं, क्या इंदिरा साहनी जजमेंट को लार्जर बेंच भेजे जाने की जरूरत है या नहीं। इंदिरा साहनी जजमेंट में रिजर्वेशन के लिए 50 फीसदी की सीमा तय की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मराठा रिजर्वेशन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

सोमवार से संवैधानिक बेंच में सुनवाई शुरू हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान तमाम राज्यों से जवाब दाखिल करने को कहा था कि क्या विधायिका इस बात को लेकर सक्षम है कि वह रिजर्वेशन देने के लिए किसी जाति विशेष को सामााजिक और शैक्षणिक रूप से बैकवर्ड घोषित कर सके। सुप्रीम कोर्ट 102 संशोधन के व्याख्या के सवाल को भी देेखेगा, जिसमें विशेष कम्युनिटी को रिजर्वेशन देने का प्रावधान है और उसका नाम राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए लिस्ट में होता है।

102 संशोधन में 2018 में अनुच्छेद 338 बी ( राष्ट्रीय बैकवर्क क्लास आयोग के स्ट्रक्चर, ड्यूटी और पावर) को जोड़ा गया था साथ ही अनुच्छेद342 ए (राष्ट्रपति को अधिकार दिया गया कि वह किसी भी जाति विशेष को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से बैकवर्क क्लास (एसईबीसी) के तौर पर नोटिफाई करें) का प्रावधान किया गया। साथ ही संसद को अधिकार दिया गया कि वह एसईबीसी लिस्ट में बदलाव कर सके। 9 दिसंबर को महाराष्ट्र में नौकरी और एजुकेशनल इंस्टिट्यूट में मराठा रिजर्वेशन पर अंतरिम रोक लगाए जाने के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बदलाव से मना कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मराठा को 12 फीसदी से लेकर 13 फीसदी तक रिजर्वेशन देने की बात की थी।

साभार : नवभारत टाइम्स

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