कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट-2019 के लागूहोने से पहले के मामलोंकी सुनवाई पुराने जूरिडिक्शन के तहत ही होगी

कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट-2019 के लागूहोने से पहले के मामलोंकी सुनवाई पुराने जूरिडिक्शन के तहत ही होगी
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नई दिल्ली
ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट 2019 के अमल में आने से पहले जो भी शिकायतें कन्ज्यूमर फोरम में दाखिल की गई थीं, वह पहले के कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट 1986 के तय जूरिडिक्शन के हिसाब से सुनी जाएंगी।

इस फैसले के बाद देश भर में केस के जूरिडिक्शन को लेकर कन्फ्यूजन था खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने नैशनल कन्ज्यूमर फोरम (एनसीडीआरसी) के उस निर्देश को खारिज कर दिया, जिसमें एनसीडीआरसी ने पहले के कानून के जूरिडिक्शन के तहत दाखिल केस को ट्रांसफर करने का निर्देश दिया था।

एनसीडीआरसी ने अपने आदेश में कहा था कि नया कानून 2019 में आया है और नए कानून के तहत जो जूरिडिक्शन है, उसी के तहत मामले की सुनवाई होगी और पुराने कानून के तहत दाखिल केसों के ट्रांसफर का आदेश दिया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलटते हुए कहा है कि 2019 के कानून से पहले जो भी केस पुराने कानूनी प्रावधान के तहत तय जूरिडिक्शन में दाखिल हुआ था,उसकी सुनवाई पुराने कानून के जूरिडिक्शन के तहत ही होगी।

गौरतलब है कि कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट 2019 बनाया गया है और इसके लिए 20 जुलाई 2020 को नोटिफिकेशन जारी कर अमल में लाया गया और 1986 का कानून इसके साथ ही निष्प्रभावी हो गया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि 20 जुलाई 2020 से पहले जो भी केस दाखिल हुआ है, वह उस कन्ज्यूमर फोरम में पहले के कानून यानी 1986 के जूरिडिक्शन के तहत ही सुना जाएगा। और ऐसे केस नए जूरिडिक्शन के हिसाब से ट्रांसफर नहीं होंगे।

साभार : नवभारत टाइम्स

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