महिलाओं का सर्वाधिक सम्मान करते हैं…. SC ने कहा- कभी भी रेप आरोपी को शादी करने को नहीं कहा

महिलाओं का सर्वाधिक सम्मान करते हैं…. SC ने कहा- कभी भी रेप आरोपी को शादी करने को नहीं कहा
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नई दिल्ली
ने कहा है कि पिछले हफ्ते रेप मामले में आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान अदालत ने रेप केस में जो टिप्पणी की थी उसे गलत तरीके से रिपोर्ट किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनका महिलाओं के प्रति सर्वोच्च सम्मान है। पिछले हफ्ते 23 साल के रेप के आरोपी से शादी के बारे में पूछे गए सवाल की रिपोर्टिंग के बाद अदालत की टिप्पणी की काफी चर्चा रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि हमारी टिप्पणी की बिल्कुल गलत रिपोर्टिंग की गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने कोई भी मेरिटल रेप का केस नहीं है। हम महिलाओं का सर्वाधिक सम्मान करते हैं। हमारा सम्मान बार के हाथों में है। 14 साल की प्रेगनेंट लड़की की प्रेगनेंसी टर्मिनेशन की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में रेप आरोपी मामले में की गई टिप्पणी का मामला सोमवार को उठा था।

हमने शादी का सुझाव भी नहीं दिया
हमने अपनी टिप्पणी में कभी भी ये नहीं सुझाव दिया था कि रेप के आरोपी को विक्टिम से शादी करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि हमने सवाल किया था कि क्या आप (आरोपी) शादी करने जा रहे हैं। हमने आरोपी को ये आदेश नहीं दिया था कि आप रेप विक्टिम से शादी करें। हमने आरोपी को सुझाव भी नहीं दिया था कि आपको शादी करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हमारी टिप्पणी को गलत संदर्भ में पेश कर गलत रिपोर्टिंग की गई।

मिसरिपोर्टिंग से जूडिशरी के सम्मान को पहुंची ठेस
सुप्रीम कोर्ट ने कहा नारीत्व का उच्चतम स्तर पर सम्मान करते हैं। हमने सुनवाई के दौरान पूछा था कि क्या आप (आरोपी) विक्टिम से शादी करने जा रहे हैं हमने शादी करने के लिए नहीं कहा था। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस के कथन का समर्थन किया। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अलग संदर्भ में सवाल किया था और उसे उसे गलत संदर्भ में कोट किया गया। सुनवाई के दौरान एडवोकेट वीके बिजू ने कहा कि इस मामले में गलत रिपोर्टिंग (मिसरिपोर्टिंग) हुई है और इस कारण जूडिशयरी के मान सम्मान को ठेस पहुंचा है। चीफ जस्टिस ने कहा कि जूडिशियरी का मान सम्मान बार के हाथों में है।

जूडिशल रिकॉर्ड के आधार पर पूछा था सवाल
इस दौरान चीफ जस्टिस ने तुषार मेहता से कहा कि वह एविडेंस एक्ट की धारा पढ़ें। तब मेहता ने कहा कि अदालत ने एविडेंस एक्ट के तहत सुनवाई के दौरान सवाल कर सकते हैं। एक्ट कहता है कि जज ऑर्डर दे सकते हैं, पेपर प्रूफ मांग सकते हैं या फिर सवाल कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने रेप आरोपी से जो सवाल किया था वह जूडिशियल रेकॉर्ड के आधार पर था। याचिकाकर्ता की अर्जी में था कि आरोपी के रिलेटिव ने अंडरटेकिंग दी थी कि जब लड़की बालिग हो जाएगी तो आरोपी शादी कर लेगा। इसी संदर्भ में अदालत ने सवाल किया था कि क्या वह विक्टिम से शादी करने जा रहे हैं। जो सवाल किया गया उसे गलत संदर्भ में रिपोर्ट किया गया।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर हुई थी आलोचना
‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ पर पीठ का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब कोर्ट की उस हालिया टिप्पणी को लेकर उसकी आलोचना हुई, जिसमें उसने एक अन्य मामले में रेप के आरोपी से पूछा था कि क्या वह पीड़िता से विवाह करना चाहता है। इस घटना की पीड़िता से जब रेप हुआ था, उस समय वह नाबालिग थी। कोर्ट ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका पर एक मार्च को सुनवाई करते हुए कथित रूप से यह टिप्पणी की थी।

CJI से टिप्पणी वापस लेने और माफी की मांग
बाद में सीपीआई (एम) की लीडर बृंदा करात ने चीफ जस्टिस को लेकर लिखकर कहा था कि चीफ जस्टिस को टिप्पणी वापस लेना चाहिए। कई महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, नागरिकों, बुद्धिजीवियों, लेखकों और कलाकारों ने भी चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर मांग की थी कि वह माफी मांगे और इन टिप्पणियों को वापस लें।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

साभार : नवभारत टाइम्स

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