लाइफ पार्टनर के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाना बन सकता है तलाक का आधार: सुप्रीम कोर्ट

लाइफ पार्टनर के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाना बन सकता है तलाक का आधार: सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली
अगर कोई शख्स अपने जीवनसाथी के मान-सम्मान को चोट पहुंचाता है तो यह मानसिक क्रूरता के समान है और यह तलाक का आधार भी बन सकता है। सेना के एक अधिकारी और उसकी पत्नी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि लाइफ पार्टनर के खिलाफ मान-प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाली शिकायतें करना और उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना मानसिक क्रूरता के दायरे में आएगा और इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने सेना के अधिकारी को उसकी पत्नी के खिलाफ तलाक के केस में डिक्री प्रदान कर दी।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि इस मामले में उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले में खामियां है। हाई कोर्ट ने कहा था कि टूटे हुए संबंध मध्यवर्गीय वैवाहिक जीवन की सामान्य खींचतान है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रतिवादी ने क्रूरता किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले को नकार दिया और फैमिली कोर्ट के फैसले को बहाल कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता की दलील स्वीकार की जाती है और वह शादी को खत्म करने का अधिकारी है और प्रतिवादी की वह दलील खारिज की जाती है जिसमें उसने वैवाहिक बहाली की दलील दी थी।

क्या है पूरा मामला
सेना के एक अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर पत्नी के खिलाफ मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था और इस आधार पर तलाक की मांग की थी। पत्नी एक पीजी कॉलेज में फैकल्टी मेंबर हैं। दोनों की शादी 15 साल पहले 2006 में हुई थी। शादी के बाद दोनों कुछ महीने साथ रहे लेकिन इसके बाद मतभेद पैदा हो गए। दोनों में 2007 में अलगाव हुआ। याचिकाकर्ता ने कहा कि पत्नी ने उसे मानसिक पीड़ा पहुंचाया और तमाम जगहों पर उसके मान-सम्मान को ठेस पहुंचाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई अपने लाइफ पार्टनर के मान-सम्मान को उसके सहकर्मियों और समाज में अन्य लोगों के बीच नुकसान पहुंचाता है तो फिर वह मानसिक क्रूरता के दायरे में आएगा।

साभार : नवभारत टाइम्स

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