'स्कूली किताबों से गैर-ऐतिहासिक सामग्री हटे, आर्यन आक्रमण की जगह पढ़ाई जाए सरस्वती सभ्यता'

'स्कूली किताबों से गैर-ऐतिहासिक सामग्री हटे, आर्यन आक्रमण की जगह पढ़ाई जाए सरस्वती सभ्यता'
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नई दिल्ली
बीजेपी सांसद और संसद में मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन कमिटी के चेयरमैन विनय सहस्त्रबुद्धे ने भारतीय स्कूलों के किताबों में बदलाव की बात कही है। उन्होंने कहा कि भारतीय स्कूलों में अब आर्यन आक्रमण से जुड़े इतिहासों को हटाया जाए और सरस्वती सभ्यता के बारे में बच्चों को पढ़ाया जाए। उन्होंने स्कूली किताबों से गैर-ऐतिहासिक सामग्री को हटाने की भी वकालत की।

स्कूलों में पढ़ाया जाए
एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि देश पहले आता है और किताबों इसका झलकना आवश्यक है। किताबों में 1975 के आपातकाल और 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण के बारे में भी जरूर बताया जाना चाहिए। इंडियन काउंसिल कल्‍चरल रिलेशंस (ICCR) के चीफ होने के नाते विनय सहस्‍त्रबुद्धे की यह भी योजना है कि दूसरे देशों की यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं को भारतीय छात्र-छात्राओं से मिलवाया जाए ताकि दो लोकतांत्रिक परंपरा समूहों को एक-दूसरे के करीब लाया जा सके।

आर्यन आक्रमण के इतिहास को किताबों से हटाया जाए
उन्होंने कहा कि जब हम गैर-ऐतिहासिक सामग्री के बारे में बात करते हैं तो हमारा मतलब है कि इतिहासकारों का एक ऐसा समूह था, जो आर्यन आक्रमण सिद्धांत में विश्वास करता था, लेकिन इन्‍हें इतिहासकारों और यहां तक कि बीआर आंबेडकर जैसे बड़े राजनेताओं की ओर से चुनौती दी गई है। इसे खारिज कर दिया गया। विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा, ‘हमने पाया कि आर्यन आक्रमण सिद्धांत और कुछ और संबंधित मुद्दे तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। हमें इस पर संदर्भों को हटाना होगा। सरस्वती सभ्यता के विषय पर शोध किया गया है, जिसे पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया जाना है। हमारी सभ्यता मोहनजो दारो से शुरू नहीं हुई थी, यह बहुत पहले थी।

विशेष इतिहासकारों पर निर्भरता कम हो
उन्होंने आगे कहा, ‘हम यह भी सिफारिश करेंगे कि भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR) को पाठ्यपुस्तक लेखन संबंधी मुद्दे के लिए राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) से परामर्श करना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है ताकि हम कुछ विशेष प्रकार के इतिहासकारों पर निर्भर न हों क्योंकि एक विशेष समूह का इतिहास लेखन में वर्चस्व है। उन्होंने कहा कि सभी सुझावों का अध्ययन करने के बाद रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा।

साभार : नवभारत टाइम्स

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