ऊंचे पहाड़ी इलाकों में भारत का मुकाबला करने के लिए चीन बढ़ा रहा अपनी हवाई ताकत

ऊंचे पहाड़ी इलाकों में भारत का मुकाबला करने के लिए चीन बढ़ा रहा अपनी हवाई ताकत
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नई दिल्ली
ऊंचाई के इलाकों में भारत का मुकाबला करने के लिए चीन अपनी हवाई ताकत बढ़ा रहा है। चीन के खुद के बनाए हेलिकॉप्टर इन जगहों पर नाकाम हैं। इसलिए वह रूस से कॉम्बैट हेलिकॉप्टर खरीद रहा है। इंटेलिजेंस एजेंसी सूत्रों के मुताबिक चीन अगले चार साल में रूस से करीब 500 एमआई-17 हेलिकॉप्टर ले रहा है। इसमें एमआई हेलिकॉप्टर के तीन अलग-अलग वेरिएंट शामिल हैं। इनमें से 140 हेलिकॉप्टर चीन को डिलीवर भी हो गए हैं।

पिछले साल मई से ईस्टर्न लद्दाख में भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल पर गतिरोध जारी है। दोनों देश के सैनिक आमने-सामने डटे हैं। जानकारों के मुताबिक परंपरागत युद्ध में ऊंचाई के इलाकों पर भारत चीन पर भारी पड़ सकता है। हवाई ताकत (एयर पावर) के मामले में भी भारत का पलड़ा भारी है। इसलिए वह खुद को मजबूत करने के लिए कई कदम उठा रहा है। चीन के खुद के बनाए जेड-10 एमई और जेड-20 हेलिकॉप्टर ऊंचाई के इलाके में नाकाम हैं।

खुद को बचा नहीं सकता चीनी हेलिकॉप्टर
जेड-10 और जेड-20 हेलिकॉप्टर के इंजन की कैपिसिटी ज्यादा ऊंचाई के लायक नहीं है। यह आमने-सामने की जंग के लिए जरूरी सैनिकों को भी ऊंचाई पर पहुंचाने में कारगर नहीं है। जेड-20 मल्टीफंक्शन कॉम्बैट हेलिकॉप्टर नहीं है। इसमें हथियार नहीं है और आर्मर प्रोटेक्शन भी नहीं है। आर्मर प्रोटेक्शन का मतलब है कि अगर कोई बाहर से अटैक करता है इस हेलिकॉप्टर में ऐसा कुछ नहीं है जिससे यह खुद को बचा सके। साथ ही इसमें आउटबोर्ड फ्यूल टैंक भी नहीं है।

चीन का चेंगदू जे-20 फाइटर एयरक्राफ्ट भी ऊंचाई के इलाकों में ज्यादा सक्षम नहीं है। चीन कहता है कि जे-20 पांचवीं जनरेशन का एयरक्राफ्ट है लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि जे-20 में थर्ड जनरेशन का इंजन है। इसकी पेलोड कैपिसिटी भारत के पास मौजूद फाइटर जेट रफाल से कम है। चीन रूस से एमआई-17 के तीन वेरिएंट एमआई-171 ई, एमआई- 171एसएच और एमआई-171 एलटी ले रहा है। भारतीय सेना के पास पहले से ही एमआई-17 हेलिकॉप्टर मौजूद हैं।

भारतीय वायुसेना है ज्यादा आगे
कैंब्रिज बेस्ड वेलफर सेंटर फॉर साइंस ऐंड इंटरनैशनल अफेयर्स ने भारत-चीन की सैन्य ताकत को लेकर एक रिसर्च की जिसमें कहा गया है चीन और भारत की एयरफोर्स की तुलना करें तो इंडियन एयरफोर्स चीन से काफी आगे है। चीन के कब्जे वाले तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन में जो एयरबेस हैं वह तकरीबन 14000 फीट की ऊंचाई पर हैं।

वैसे तो तिब्बत पठारी इलाका है लेकिन समुद्र तल से इसकी ऊंचाई ज्यादा है और यही वजह है कि इस ऊंचाई पर चीन के विमान फुल पेलोड के साथ नहीं उड़ सकते। यानी कि उसमें फ्यूल भी कम रखना होगा साथ ही हथियार भी। इसके उलट इंडियन एयरफोर्स के ज्यादातर एयरबेस प्लेन इलाकों में हैं और वह फुल पेलोड के साथ उड़ान भर सकते हैं यानी अपनी पूरी क्षमता के साथ।

साभार : नवभारत टाइम्स

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