'भालू ने दौड़ाया, पेड़ पर काटनी पड़ी रात तब पता चला आतंक की राह में बड़े धोखे हैं'

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()जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में बीते कुछ दिनों में आतंक की राह पर गए कई युवकों ने आतंक का रास्ता छोड़ सरेंडर कर दिया है। इनमें से एक युवक को भालू से बचने के लिए पेड़ पर रात बितानी पड़ी। इस वाकये के बाद उसे अहसास हुआ कि उसे आतंकवादी बनने के लिए भर्ती करने वालों ने उसे मरने के लिए अपने हाल पर छोड़ दिया था। आखिरकार उसने सुरक्षाबलों के सामने सरेंडर कर दिया।

एक दूसरे मामले में युवक ने ऑपरेशन के बीच में ही अपने माता-पिता की गुहार पर हथियार डाल दिए। सेना के अधिकारियों के समक्ष इस वर्ष हथियार डालने वाले 17 युवकों की कहानियां अलग-अलग हैं, लेकिन उनका उद्देश्य एक है- मुख्यधारा में लौटने की चाहत। अधिकारियों ने बताया कि सेना सरेंडर पर ध्यान केंद्रित कर रही है और घाटी में कई सफल आतंकवाद निरोधक अभियान चलाए हैं, खासकर दक्षिण कश्मीर में।

तीन महीने पहले घाटी के 24 वर्षीय युवक को स्थानीय आतंकवादी अब्बास शेख ने आतंकवाद में शामिल होने के लिए मनाया। अधिकारियों ने बताया कि उसे एक ग्रेनेड दिया गया और उसे द रेसिसटेंस फ्रंट (टीआरएफ) का सदस्य बनाया गया, जिसे प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा का ही अंग माना जाता है। उन्होंने कहा कि जल्द ही उसका मोहभंग हो गया। युवक की पहचान छिपाकर रखी गई है, उसने एक रात पेड़ पर बिताई, वह जंगली भालू से डरा हुआ था और भूखा था। वह कोकरनाग के जंगलों में घूम रहा था जब उसका सामना भालू से हुआ।

‘रातभर पीछे दौड़ा भालू, उस दिन अहसास हुआ कि आका मूर्ख बना रहे हैं’पूछताछ रिपोर्ट में उसके हवाले से कहा गया, ‘भालू मेरे पीछे दौड़ा और मैं एक पेड़ पर चढ़ गया। मैं पूरे दिन और रात पेड़ पर रहा, भूख लगी हुई थी और हाथ में ग्रेनेड था। मुझे महसूस हुआ हमारे आका हमें मूर्ख बना रहे हैं।’ एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यहीं से उसकी जिंदगी में बदलाव आया। उसने दक्षिण कश्मीर के अंदरूनी हिस्से में सेना की एक इकाई के सामने हथियार डाल दिए। उससे वादा किया गया कि वह और उसका परिवार अब सामान्य जीवन जी सकते हैं। अधिकारी ने सरेंडर का ब्यौरा नहीं दिया।

माता-पिता की अपील पर दो आतंकियों ने किया सरेंडर
एक अन्य घटना में 22 दिसंबर को 34 राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों को सूचना मिली कि कुलगाम जिले के तांत्रीपुरा में लश्कर ए तैयबा के दो आतंकवादी मौजूद हैं। दोनों आतंकवादियों की पहचान यावर वाघे और अमीर अहमद मीर के तौर पर हुई। एक अधिकारी ने कहा, ‘जैसे ही हमने अभियान शुरू किया, हमें पता चला कि दोनों स्थानीय नागरिक हैं जो कुछ महीने पहले आतंकवादी बने हैं।’ एक अधिकारी ने बताया, ‘वाघे के बुजुर्ग पिता और मां ने अपने बेटे से गुहार लगाई और वह बाहर निकला और जवानों के समक्ष सरेंडर कर दिया। हमने मीर के माता-पिता से भी ऐसा ही करने का आग्रह किया और वह भी बाहर निकल आया और हथियार डाल दिए।’

अल-बद्र के 17 आतंकियों ने किया सरेंडर
इस साल हथियार डालने वाले 17 आतंकवादियों में अल-बद्र आतंकवादी समूह का शोएब अहमद भट भी है जिसने इस वर्ष अगस्त में सरेंडर किया था। वह उस समूह का हिस्सा था जिसने दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में टेरिटोरियल आर्मी के एक जवान की हत्या की थी। प्रयास हमेशा सफल नहीं होता। अधिकारियों ने बताया कि सेना के जवानों ने शनिवार को शोपियां जिले के कनीगाम में एक अभियान के दौरान आतंकवादियों से सरेंडर करने की अपील की। बहरहाल, आतंकवादियों ने आग्रह पर ध्यान नहीं दिया और वे मारे गए।

साभार : नवभारत टाइम्स

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