अंबानी, अडाणी के बाद रामदेव भी किसान संगठनों के निशाने पर, अब पतंजलि का बहिष्कार

अंबानी, अडाणी के बाद रामदेव भी किसान संगठनों के निशाने पर, अब पतंजलि का बहिष्कार
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नई दिल्ली
एक तरफ किसान संगठनों नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं, तो दूसरी तरफ उनका गुस्सा देश के उद्योगपतियों को ऊपर भी निकल रहा है। मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी के प्रॉडक्ट्स का बहिष्कार करने के बाद किसान संगठनों की नजर बाबा रामदेव के पतंजलि पर टेढ़ी हो गई है। किसान नेता गुरनाम सिंह ने कहा है कि पतंजलि के उत्पादों का भी बहिष्कार किया जाना चाहिए।

बहिष्कार के मामले में किसी से जबरदस्ती नहीं
भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा, हमने दो फैसले लिए हैं। एक तो बाबा रामदेव, अंबानी और अडाणी के सामानों का बहिष्कार किया जाना चाहिए, लेकिन जबरदस्ती किसी की दुकान या पेट्रोल पंप वगैरह नहीं बंद करानी है। दूसरा ये कि जबतक हमारी मांग नहीं मान ली जाती है जबतक हरियाणा में अनिश्चित काल के लिए सारे टोल फ्री रहेंगे।

अंबानी-अडाणी के खिलाफ बढ़ता आक्रोश
आपको बता दें कि प्रदर्शनकारी किसानों में देश के दो दिग्गज उद्योगपतियों- मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी के प्रति काफी रोष देखा जा रहा है। इनका मानना है कि इन दोनों उद्योगपतियों की नजर किसानों की जमीनों पर है क्योंकि वो कृषि उद्योग में अपना धंधा तलाश रहे हैं। 9 दिसंबर को जब किसान नेताओं ने नए कृषि कानूनों में संशोधन करने के सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया तो इस मौके पर किसान नेता जंगवीर सिंह ने कहा था, ‘हम अडानी और अंबानी के स्वामित्व वाले प्रतिष्ठानों और सेवाओं का बहिष्कार करेंगे।’ अब बाबा रामदेव की पतंजलि पर भी किसानों की नजर टेढ़ी हो रही है।

सरकार ने किसान संगठनों को 30 दिसंबर को बातचीत के लिए बुलाया
नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच ठनी रार अबतक खत्म नहीं हो पाई है। किसान संगठनों दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर जमे हुए हैं और कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि सरकार बार-बार बातचीत के लिए कह रही है। इस बीच सरकार ने किसान संगठनों को 30 दिसंबर को एक बार फिर से बातचीत के लिए आमंत्रित किया है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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