TRP केस में क्या पूर्व सीईओ प्राथ दासगुप्ता को मिला रिटर्न गिफ्ट! बैंक खातों की जांच शुरू

TRP केस में क्या पूर्व सीईओ प्राथ दासगुप्ता को मिला रिटर्न गिफ्ट! बैंक खातों की जांच शुरू
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मुंबई
फर्जी टीआरपी केस में तीन दिन पहले ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) पार्थ दासगुप्ता को गिरफ्तार किया गया था। उन पर और BARC के पूर्व मुख्य संचालन अधिकारी (COO) रोमिल रामगढ़िया पर कुछ चैनलों की टीआरपी बढ़ाने में मदद का आरोप है। क्या बदले में दोनों को संबंधित चैनलों से रिटर्न गिफ्ट मिला? क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (CIU) ने इसकी पड़ताल शुरू कर दी है।

मुंबई क्राइम के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, कोई किसी का फेवर तभी करता है, जब बदले में उसे कोई फायदा भी मिले। कुछ समय पहले इस तरह की भी खबरें आईं कि कुछ आरोपियों को हॉलिडे पैकेज दिए गए। क्राइम ब्रांच इस बारे में भी जानकारी जुटा रही है। सभी आरोपियों के बैंक अकाउंट्स की, उनके टूर्स की भी जांच की जा रही है।

पार्थ दासगुप्ता साल 2013 से साल 2019 तक BARC में रहे। रोमिल रामगढ़िया का भी यहां लंबा कार्यकाल रहा। बाद में दोनों ने यहां इस्तीफा दे दिया था। अपराध खुफिया विभाग (CIU) को BARC के सर्वर से जो साक्ष्य को मिले हैं, उसके मुताबिक टीआरपी हेरफेर करने में रामगढ़िया और दासगुप्ता के बीच भी आपस में संवाद हुआ। रामगढ़िया को दासगुप्ता से पहले गिरफ्तार किया गया था। उसने भी सीआईयू अधिकारियों को दासगुप्ता के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।

मुंबई क्राइम ब्रांच चीफ मिलिंद भारंबे ने कहा कि जब पार्थ दासगुप्ता बार्क के सीईओ थे तब टीआरपी को हेरफेर करने की काफी शिकायतें आई थीं, लेकिन उन्होंने उसे नजरअंदाज किया। अब पता चला है कि फर्जी टीआरपी केस का असल मास्टरमाइंड पार्थ दासगुप्ता ही हैं।

दरअसल, बार्क के वर्तमान मैनेजमेंट ने थर्ड पार्टी फॉरेंसिंक ऑडिट करवाई जिसकी रिपोर्ट बार्क को इस साल जुलाई में और मुंबई क्राइम ब्रांच को पिछले सप्ताह मिली। इस ऑडिट में ई-मेल, चैट और इसी तरह के कई ऐसे इलेक्ट्रानिक्स ऐविडेंस मिले, जिससे यह साबित होता है कि टीआरपी में हेरफेर की गई।

साभार : नवभारत टाइम्स

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