अबतक 51 भूकंप… वे झटके जिन्होंने कोरोना के बाद इस साल दिल्ली को सबसे ज्यादा डराया, क्या है वजह?
दिल्ली वालों के लिए यह साल दोहरी मुसीबत वाला रहा। एक तो पूरी दुनिया की तरह उन्हें कोरोना वायरस को झेलना पड़ा। ऊपर से धरती के नीचे हलचल ने लगातार डराए रखा। क्रिसमस की सुबह भी उतनी खुशगवार नहीं रही। नांगलोई में सुबह करीब 5 बजे भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। हालांकि रिक्टर पैमाने पर तीव्रता महज 2.3 रही मगर हाल के दिनों में जिस तरह दिल्ली कांपती रही है, उससे लोगों में दशहत जरूर फैल गई। इससे पहले, 17 दिसंबर को भी दिल्ली-एनसीआर के लोगों ने झटके महसूस किए थे। तब रिक्टर स्केल तीव्रता 4.2 दिखा रहा था। दोनों ही झटकों में किसी तरह के जान-माल का नुकसान नहीं हुआ। पिछले करीब एक साल में दिल्ली-एनसीआर में कम तीव्रता के कई भूकंप आए हैं। ऐसा क्यों हो रहा है और क्या ये किसी बड़े खतरे का संकेत है? आइए एक्सपर्ट्स से समझते हैं।
Earthquake in Delhi today news: देश की राजधानी में पिछले एक हफ्ते के भीतर भूकंप को दो झटके लगे हैं। 17 दिसंबर को जहां भूकंप की तीव्रता 4.2 रही थी, वहीं 25 दिसंबर की सुबह आया भूकंप रिक्टर स्केल पर 2.3 तीव्रता वाला रहा।
दिल्ली वालों के लिए यह साल दोहरी मुसीबत वाला रहा। एक तो पूरी दुनिया की तरह उन्हें कोरोना वायरस को झेलना पड़ा। ऊपर से धरती के नीचे हलचल ने लगातार डराए रखा। क्रिसमस की सुबह भी उतनी खुशगवार नहीं रही। नांगलोई में सुबह करीब 5 बजे भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। हालांकि रिक्टर पैमाने पर तीव्रता महज 2.3 रही मगर हाल के दिनों में जिस तरह दिल्ली कांपती रही है, उससे लोगों में दशहत जरूर फैल गई। इससे पहले, 17 दिसंबर को भी दिल्ली-एनसीआर के लोगों ने झटके महसूस किए थे। तब रिक्टर स्केल तीव्रता 4.2 दिखा रहा था। दोनों ही झटकों में किसी तरह के जान-माल का नुकसान नहीं हुआ। पिछले करीब एक साल में दिल्ली-एनसीआर में कम तीव्रता के कई भूकंप आए हैं। ऐसा क्यों हो रहा है और क्या ये किसी बड़े खतरे का संकेत है? आइए एक्सपर्ट्स से समझते हैं।
2020 में दिल्ली के आसपास आए 51 भूकंप
नैशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) की वेबसाइट पर मौजूद डेटा के अनुसार, दिल्ली या उसके 200 किलोमीटर के दायरे में इस साल कुल 51 छोटे-मध्यम तीव्रता के भूकंप आए हैं। इनमें से कुछ का केंद्र दिल्ली, कुछ का उत्तराखंड और ज्यादातर का हरियाणा में रहा। इस साल यलो कैटेगरी यानी 4 से ज्यादा तीव्रता वाले कुल तीन भूकंप आए जिनमें से एक 29 मई (तीव्रता 4.5, केंद्र रोहतक), दूसरा 3 जुलाई (तीव्रता 4.7, केंद्र गुरुग्राम से थोड़ा दूर) और तीसरा 17 दिसंबर (तीव्रता 4.2, केंद्र रेवाड़ी) को आया।
हिमालयन क्रस्ट में तनाव का दिख रहा असर?
साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा साल गुजर चुके हैं लेकिन भारतीय प्लेट के खिसकने का सिलसिला जारी है। यह एशियाई प्लेट की तरफ 5-6 सेंटीमीटर प्रति वर्ष की रफ्तार से बढ़ रही है। हिमालय के नीचे की क्रस्ट भी बेहद तनाव में है। अगर उन्हें शिफ्ट होने की जगह मिली तो वे या तो खिसकेंगे या टूट जाएंगे। टेंशन धीमे-धीमे रिलीज होने को भी कुछ एक्सपर्ट्स छोटे भूकंपों की वजह बता रहे हैं।
बड़े भूकंप की आशंका से इनकार नहीं कर रहे एक्सपर्ट्स
दिल्ली-एनसीआर में बार-बार आ रहे भूकंपों पर विशेषज्ञ तीन संभावनाओं की बात कर रहे हैं। हालांकि बड़े भूकंप की संभावनाओं को नकारा नहीं जा रहा है उनका कहना है कि दिल्ली-एनसीआर की बिल्डिंगों को भूकंप के लिए तैयार करना शुरू कर देना चाहिए। बिल्डिंग असेसमेंट इस समय काफी जरूरी है, ताकि बड़े भूकंप के नुकसान को कम किया जा सके। पिछले करीब छह महीनों में 20 से ज्यादा बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। केंद्रीय पृथ्वी एवं विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, यह झटके रिक्टर स्केल पर बहुत हल्के थे। हालांकि भूकंप पर शोध करने वाले इन हल्के भूकंप को बड़े खतरे की आहट भी मान रहे हैं।
दिल्ली में बन रहीं कैसी परिस्थितियां?
भूकंप एक्सपर्ट डॉ. पी पांडे के अनुसार, भूकंप को लेकर कोई पूर्वानुमान नहीं हो सकता1 इन झटकों के पीछे तीन स्थितियां बन रही हैं। पहला यह है कि इस तरह के छोटे झटके कुछ समय तक लगातार आएंगे और फिर स्थिति सामान्य हो जाएगी। दूसरी स्थिति यह कि लगातार छोटे झटके आएं और फिर एक बड़ा भूकंप, लेकिन इस स्थिति में आमतौर पर पांच से सात छोटे भूकंप के बाद एक बड़ा भूकंप आ जाता है। तीसरी स्थिति यह बन रही है कि दिल्ली एनसीआर में आ रहे यह भूकंप किसी दूर के इलाके में आने वाले बड़े भूकंप के बारे में बता रहे हों।
दिल्ली का बड़ा इलाका है भूकंप के लिहाज से संवेदनशील
दिल्ली-एनसीआर भूकंप के जोन 4 में आता है। 2014 में नैशनल सेंटर ऑफ सिस्मेलॉजी (NCS) ने दिल्ली-एनसीआर की माइक्रो जोन स्टडी की थी। इसके मुताबिक राजधानी का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा जोन-5 में है, जो भूकंप को लेकर सबसे अधिक संवेदनशील है। इन हिस्सों में ज्यादा तैयारियां की जानी चाहिए। पुरानी बिल्डिंगों को भूकंप के लिए तैयार करने की जरूरत है।
दिल्ली के इन इलाकों को ज्यादा खतरा
दिल्ली-एनसीआर में कमजोर और फॉल्ट वाले इलाके इस प्रकार हैं:
दिल्ली-हरिद्वार रिज
महेंद्रगढ़-देहरादून सबसरफेस फॉल्ट
मुरादाबाद फॉल्ट
सोहना फॉल्ट
ग्रेड बाउंड्री फॉल्ट
दिल्ली-सरगोधा रिज
यमुना रिवर लाइनामेंट
गंगा रिवर लाइनामेंट
कई इलाकों में बढ़ रही है स्ट्रेन एनर्जी
IIT धनबाद में सीस्मोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड पी.के. खान कहते हैं, “कम तीव्रता के झटके बार-बार लगना एक बड़े भूकंप का संकेत है।” उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में दिल्ली-एनसीआर ने रिक्टर स्केल पर 4 से 4.9 तीव्रता वाले 64 भूकंप देखे हैं। वहीं पांच से ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप 8 बार आए। खान के मुताबिक, “यह दिखाता है कि इलाके में स्ट्रेन एनर्जी बढ़ रही है खासतौर से नई दिल्ली और कांगड़ा के नजदीक।” दिल्ली-हरिद्वार रिज पर भी हलचल हो रही है। वहां हर साल प्लेट में 44 मिलीमीटर का मूवमेंट देखने को मिल रहा है।
बड़े भूकंप से कैसे बच सकती है दिल्ली?
वाडिया इंस्टीट्यूट डायरेक्टर कलाचंद साईं ने बताया कि बचाव के लिए लोकल अथॉरिटीज को यह देखना होगा कि उनके इलाके में बनने वाली इमारतें ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स के मानकों के मुताबिक हों। उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली-एनसीआर इसके (भूकंप) लिए तैयार होगा तो कोई बड़ा भूकंप आने पर जिंदगियां और सम्पत्ति, दोनों बचाई जा सकती हैं। दिल्ली भूकंप के लिहाज से सबसे ज्यादा संवदेनशील हिमालयन रीजन से सिर्फ 200 किलोमीटर दूर है।
साभार : नवभारत टाइम्स