सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भगवान कृष्ण के नाम पर पेड़ों को काटने की इजाजत नहीं दी जा सकती
उत्तर प्रदेश के मथुरा में कृष्ण गोवर्धन रोड प्रोजेक्ट () के लिए पेड़ काटने को लेकर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट () ने अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि भगवान कृष्ण के नाम पर पेड़ों को काटने की इजाजत नहीं दी जा सकती। उत्तर प्रदेश सरकार से मथुरा में कृष्ण-गोवर्धन सड़क के लिए काटे जाने वाले पेड़ों को लेकर आकलन करने को कहा है। अदालत ने कहा कि लकड़ी के मूल्य के हिसाब से नहीं बल्कि ऑक्सजीन देने की क्षमता वाले पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आकलन करना होगा।
कृष्ण-गोवर्धन रोड परियोजना के लिए यूपी सरकार की याचिका
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार यह बता पाने की स्थिति में नहीं है कि वन विभाग वृक्षों का किस तरह आकलन करेगा। इसको लेकर अपनाए जाने वाले तरीके के बारे में अवगत कराने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया जा रहा है। यूपी सरकार और लोक निर्माण विभाग समेत उसके प्राधिकारों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इसमें मथुरा में कृष्ण-गोवर्धन रोड परियोजना के लिए 2940 वृक्षों को काटने की अनुमति देने का अनुरोध किया है।
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सिर्फ लकड़ी के हिसाब से आकलन नहीं करें: SC
पीडब्ल्यूडी की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि परियोजना के तहत मथुरा में भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित मंदिर तक जाने वाली सड़क को चौड़ा भी किया जाना है। इस पर पीठ ने कहा, ‘भगवान कृष्ण के नाम पर आप हजारों वृक्षों को नहीं काट सकते हैं।’ पीठ ने कहा, ‘सिर्फ लकड़ी के हिसाब से आकलन नहीं करें। बल्कि ऐसा तरीका अपनाएं जिसमें यह ध्यान रखा जाए कि अगर किसी खास पेड़ को नहीं काटा गया तो बाकी जीवन काल में उससे ऑक्सीजन पैदा होने की कितनी क्षमता होगी।’
ताजमहल के संरक्षण को लेकर पर्यावरणविद एमसी मेहता की ओर से दायर जनहित याचिका और कुछ अन्य याचिकाओं पर सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि परियोजना के लिए कितने पेड़ काटे जाएंगे।
साभार : नवभारत टाइम्स