राजकोट में आग से कोविड मरीज की मौत, गुजरात सरकार की रिपोर्ट से सुप्रीम कोर्ट नाखुश
सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेशसुप्रीम कोर्ट के सामने गुजरात सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश की गई। अदालत ने रिपोर्ट पर नजर डालने के बाद कहा कि आपके हिसाब से सब कुछ ठीक चल रहा है लेकिन आपके रिपोर्ट और चीफ इलेक्ट्रिकल इजीनियर की रिपोर्ट में फर्क है और विरोधाभास लगता है। रिपोर्ट में तथ्य नहीं दबाना चाहिए।
अदालत ने किया सवालअदालत में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गुजरात सरकार की ओर से कोर्ट को बताया कि राजकोट में जो आग लगने की घटना हुई है उसकी जांच के लिए हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस डीके मेहता की अगुवाई वाली कमिटी का गठन किया है। अदालत ने कहा कि कमिटी राजकोट की घटना को लेकर है और अहमदाबाद में भी घटना हुई है और सात लोगों की मौत हो गई है। इस तरह की घटनाओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से उचित तरीके से रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार27 नवंबर को गुजरात के राजकोट में कोविड अस्पताल में आग लगने से पांच मरीजों की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया था और कहा था कि राज्य सरकारें जरूरी कदम नहीं उठा रही हैं इसी कारण इस तरह की घटनाएं बढ़ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि घटना स्तब्ध करने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस तरह की गंभीर घटनाएं बताती है कि सरकारी अस्पतालों की स्थिति क्या है।
फायर सेफ्टी पर सुप्रीम कोर्ट का सवालसुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि जो घटना हुई है उससे जाहिर होता है कि फायर सेफ्टी ठीक नहीं है। अदालत ने कहा था कि हम संज्ञान लेते हैं और राज्य सरकार से कहा जाता है कि वह एक दिसंबर तक मामले में रिपोर्ट पेश करे। अदालत ने कहा कि ये गंभीर मसला है और पहली घटना नहीं है। अदालत ने पिछली सुनवाई में कहा था कि आपके कितने ऑफिसर हैं जो स्थिति को देख रहे हैं। आपके पास फायर सेफ्टी उपाय नहीं है। इस तरह की आग की घटनाएं राज्य दर राज्य हो रही है और अस्पताल दर अस्पताल घट रही है। गुजरात के डिप्टी सीएम ने कहा था कि 26 मरीज को कही ंऔर शिफ्ट किया गया जबकि पांच की मौत हो गई थी।
साभार : नवभारत टाइम्स