रिया चक्रवर्ती के पीछे क्यों पड़ी ED, समझिए

रिया चक्रवर्ती के पीछे क्यों पड़ी ED, समझिए
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नई दिल्ली
ऐक्टर सुशांत सिंह राजपूत सूइसाइड केस में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी (Enforcement Directorate) ने शुक्रवार को ऐक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती से पूछताछ की। हालांकि, ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि रिया जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं। आइए समझते हैं कि ईडी (ED probe against Rhea Chaaraborty) आखिर रिया की जांच क्यों कर रही है? ईडी है (What is Enforcement Directorate) क्या? इसके काम क्या-क्या (Works and Powers of ED) हैं और यह कैसे काम करती है।

रिया चक्रवर्ती के पीछे क्यों पड़ी है ईडी?
सबसे पहले समझते हैं कि ईडी सुशांत सिंह राजपूत की कथित गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती की जांच क्यों कर रही है। दरअसल, ईडी सुशांत के पिता केके सिंह की तरफ से पटना में दर्ज कराई गई एफआईआर के आधार पर यह जांच कर रही है। एफआईआर की स्टडी के बाद ईडी ने 31 जुलाई को रिया चक्रवर्ती और उनके फैमिली मेंबर्स और अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।

किन आरोपों की जांच कर रही है ईडी?
सुशांत के पिता केके सिंह ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि रिया और उनके फैमिली मेंबर्स ने उनके बेटे के अकांउट से 15 करोड़ रुपये का हेरफेर किया था। एफआईआर में कहा गया है कि 2019 में सुशांत के अकांउट में 17 करोड़ रुपये थे लेकिन कुछ ही महीनों के भीतर उसमें से 15 करोड़ रुपये ऐसे 3 खातों में ट्रांसफर किए गए जिनसे उनका कोई संबंध नहीं था। आरोप है कि ये अकाउंट्स रिया, उसके भाई शोविक और उसकी मां के हैं।

रिया के पास प्रॉपर्टी खरीदने और निवेश के लिए कहां से पैसे आएं?
ईडी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के ऐंगल से जांच कर रही है। उसे शक है कि सुशांत के बैंक अकाउंट से रिया और उनके भाई के जरिए ट्रांजैक्शंस हुए हैं। रिया ने कुछ प्रॉपर्टी भी खरीदी है, जो ईडी की नजर में आई हैं। उनकी 2018-19 की इनकम लगभग 14 लाख है जबकि उनकी 2 बड़ी प्रॉपर्टीज नजर में आई हैं जिनकी कीमत उनकी आय से बहुत अधिक है रिया ने कुछ कंपनियों और स्टार्टअप में भी निवेश किया है। ईडी यह जांच कर रही है कि ये पैसे कहां से आए, कहीं मनी लॉन्ड्रिंग के पैसों से तो ये निवेश और खरीदारियां नहीं हुई हैं।

ईडी रिया के पीछे क्यों पड़ी है और क्या जांच रही है, इसे समझने के बाद आइए अब समझते हैं कि आखिरी ईडी है क्या और इसके काम क्या हैं।

क्या है ईडी?
ईडी एक केंद्रीय वित्तीय जांच एजेंसी है। यह एक गैर-संवैधानिक निकाय है यानी इसका संविधान में कोई जिक्र नहीं है। इसकी स्थापना 1965 में हुई थी। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। इसके देश में कुल 10 जोनल कार्यालय हैं। ये हैं- मुंबई, दिल्ली, चेन्नै, कोलकाता, चंडीगढ़, लखनऊ, कोच्चि, अहमदाबाद, बेंगलुरु और हैदराबाद।

ईडी का काम क्या है?
आसान भाषा में कहें तो ईडी का काम आर्थिक भ्रष्टाचार यानी वित्तीय घपलों की जांच करना है। इसकी जांच का दायरा काफी बड़ा है। यह फेमा यानी फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट ऐक्ट के उल्लंघनों की जांच करती है। विदेशों में संपत्ति की खरीद, हवाला लेनदेन, बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा पर कब्जे, विदेशी मुद्रा के अवैध व्यापार के मामलों की जांच करती है। इसके लिए वह केंद्र और राज्यों की एजेंसियों से शिकायतों और खुफिया जानकारी हासिल करती है। मनी लॉन्ड्रिंग के संदिग्ध मामलों की जांच की वजह से यह एजेंसी अक्सर सुर्खियों में रहती है।

क्या-क्या कार्रवाई कर सकती है ईडी?
ईडी फेमा के उल्लंघन के गुनहगारों की संपत्ति तक कुर्क कर सकती है। उसके पास मनी लॉन्ड्रिंग कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जब्ती, गिरफ्तारी और केस दर्ज करने का अधिकार है।

मनी लॉन्ड्रिंग क्या है?
ईडी अक्सर मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की जांच को लेकर सुर्खियों में रहती है। इसलिए यह समझना भी जरूरी है कि आखिर मनी लॉन्ड्रिंग है क्या। आसान भाषा में कहें तो मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब काले धन को सफेद बनाने से है यानी अवैध तरीके से कमाए गए धन को वैध तरीके से कमाए गए धन के रूप में दिखाना। उदाहरण के तौर पर फर्जी कंपनियों में पैसों का ट्रांसफर। इस तरह के धन का सरकार के पास कोई लेखा-जोखा नहीं होता है।

मनी लॉन्ड्रिंग शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिका में 1980 के दशक में प्रचलित हुआ। वहां के माफिया जबरन उगाही, वसूली, सट्टेबाजी, जुआ वगैरह से खूब कमाई कर रहे थे और उसे वैध धन के रूप में दिखा रहे थे। काले धन को सफेद करने के इस खेल के लिए अमेरिकी सेनेट में ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ शब्द का इस्तेमाल किया गया।

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