उपराष्ट्रपति ने प्रशासनिक अधिकारियों से अपने काम को मिशन के रूप में लेने को कहा

उपराष्ट्रपति ने प्रशासनिक अधिकारियों से अपने काम को मिशन के रूप में लेने को कहा
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज भारतीय प्रशासनिक सेवा के युवा प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि वे अपने कार्य को गरीब-अमीर, स्त्री पुरुष, शहर गावों के बीच अंतर को मिटाने के मिशन के रूप में लें और नए भारत के लिए परिवर्तन के कारक के रूप में कार्य करें।

आज लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी के 2018 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के युवा प्रशिक्षुओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हाशिए पर खड़े वर्गों का सामाजिक आर्थिक उत्थान अधिकारियों का मूल उद्देश्य होना चाहिए।

सरदार पटेल के स्वप्न को याद दिलाते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरदार पटेल ने एक ऐसी सिविल सेवा की अपेक्षा की थी जो गरीबी और भेदभाव से लड़ कर एक नए भारत के उत्थान के लिए काम करे। इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि वे अपने काम में सत्य निष्ठ, अनुशासित, कर्मठ, जवाबदेह, पारदर्शी बनें और सादगी का जीवन व्यतीत करें।

पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वे एक महान नेता थे, सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, कर्मठता, करुणा, राष्ट्र भाव और साहस जैसे गुण उनके चरित्र में रचे बसे थे।

उपराष्ट्रपति ने प्रशिक्षुओं से कहा कि वे निरन्तर नया सीखते रहें, विचार करें और नए प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि सुशासन ही आज के समय की मांग है। उन्होंने कहा कि प्रशासन तंत्र छोटा किन्तु सक्षम और दक्ष होना चाहिए जो पारदर्शी हो और लोगों की अपेक्षाओं को पूरा कर सके। एक ऐसा तन्त्र जो सुविधा और सेवाओं को तत्परता से उपलब्ध करा सके तथा उन्नति के अवसर और स्थितियां पैदा करे।

उपराष्ट्रपति ने कहा यद्यपि विधायिका कानून और नीतियां बनाती है फिर भी उनको जमीन पर कैसे लागू किया जाता है ये अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा जो सरकार तत्परता और दक्षता से सेवा और सुविधा सुनिश्चित कर सकती है वोही लोगों द्वारा याद की जाती है। श्री नायडू ने कहा कि यह जिम्मेदारी प्रशासकों की है कि लोगों को उनके अधिकार और उनके लिए अधिकृत सुविधाएं बिना किसी देरी के जल्द से जल्द उपलब्ध कराई जाएं।

उन्होंने कहा कि सरदार पटेल को मिल कर दल के रूप में काम करने पर विश्वास था। उपराष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे भी अपने सहयोगियों और मातहत काम करने वाले कर्मचारियों के साथ एक टीम बनाएं और जन सेवा के कार्य दक्षता से करें।

श्री नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का दिया मंत्र “परफॉर्म, रिफॉर्म, ट्रांसफॉर्म” युवा अधिकारियों को नए प्रयोग करने की प्रेरणा देगा और वे बेहतर से बेहतर अधिकारी के रूप में प्रगति करते जायेंगे।

उन्होंने कहा कि भारत तेजी से हो रहे परिवर्तनों के दौर में है, महामारी के बावजूद विकास और आत्म निर्भरता के ऐसे अनेक नए अवसर हैं जो हमारे विकास की प्रक्रिया को किसी भी आपदा से निरापद रख सकते हैं। उन्होंने प्रशिक्षुओं से आग्रह किया कि वे आगे बढ़ कर बदलते हुए नए भारत का नेतृत्व करें।

नया भारत समावेशी है, उसमें जीवन की गुणवत्ता है, लोकतान्त्रिक मर्यादाओं को सुदृढ किया जा रहा है, जन कल्याण के संस्थानों को सशक्त बनाया जा रहा है।

युवा अधिकारियों को महात्मा गांधी का बताया मंत्र देते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे सत्य, न्याय, समावेश, जन कल्याण और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी निष्ठा के आधार पर ही सही और निस्पृह भाव से निर्णय ले सकेंगे।

भाषा की चर्चा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रशासन की भाषा स्थानीय लोगों की आम भाषा होनी चाहिए। उन्होंने इस बात की सराहना की कि अधिकारी अपने प्रशिक्षण के दौरान स्थानीय भाषा सीखते हैं।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी द्वारा प्रकाशित, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के “मन की बात” कार्यक्रम के संकलन, “सिक्सटी फाइव कन्वर्सेशन” का लोकार्पण भी किया।

एकेडमी के निदेशक श्री संजीव चोपड़ा तथा फैकल्टी के अन्य सदस्य इस वर्चुअल समापन समारोह के अवसर पर उपस्थित रहे।

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

watchm7j

Leave a Reply

Your email address will not be published.