चीन का महा'प्लेन', पानी और जमीन पर करेगा वार
अमेरिका और भारत से तनाव के बीच चीन समुद्र में अपनी ताकत को बढ़ाने में जुटा है। रविवार को ड्रैगन ने स्वदेशी तकनीक पर आधारित दुनिया के सबसे बड़े को सफलतापूर्वक समुद्र में उतारा। यह प्लेन पानी और जमीन दोनों जगहों से उड़ान भरने और लैंडिंग करने में सक्षम है। इससे साउथ चाइना सी जैसे विवादित इलाके में चीन की ताकत और बढ़ेगी।
समुद्र में उतरा चीनी एम्फीबियस प्लेन
चीनी एम्फीबियस प्लेन एजी600 खुङलूंग ने पूर्वी चीन के शानतोंग प्रांत के छिंगताओ शहर के समुद्र में सफलतापूर्वक लैंडिंग की। जिसने अन्य समुद्रीय उड़ान प्रशिक्षण व विमान क्षमता को आगे बढ़ाने के लिये आधार तैयार किया है। चीन ने कहा है कि एजी600 का प्रयोग मुख्य तौर पर वन्य आग को बुझाने और जल में बचाव करने में किया जाएगा।
360 घंटों का उड़ान प्रशिक्षण पूरा
अभी तक एजी600 विमान ने 360 से अधिक घंटों का उड़ान प्रशिक्षण पूरा किया है जिससे उड़ान परीक्षण से जुड़े बहुत-से डेटा प्राप्त हैं। गौरतलब है कि 5 सितंबर 2009 को एजी600 कार्यक्रम औपचारिक रूप से शुरू हुआ। 24 दिसंबर, 2017 को उसने क्वांगतुङ प्रांत के चूहाई शहर में स्थित चिनवान हवाई अड्डे पर सफलतापूर्वक जमीन पर अपनी पहली उड़ान भरी। 20 अक्तूबर, 2018 को हूपेई प्रांत के चिनमन शहर में स्थित च्यांगहो हवाई अड्डे पर पहला जलीय उड़ान भरी।
ऐसा है यह प्लेन
37 मीटर लंबा यह विमान बोइंग 737 की तरह दिखता है। इसके पंखों का फैलाव 38.8 मीटर है। एविएशन इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना के अनुसार, यह प्लेन 53.5 टन का अधिकतम भार उठा सकता है। जबकि, यह प्लेन एक बार में 4,500 किलोमीटर की अधिकतम उड़ान भर सकता है।
भारत का एम्फीबियर प्लेन प्रोजक्ट अधर में
भारत ने भी जापान के साथ 12 एम्फीबियस प्लेन खरीदने को लेकर बातचीत की थी। लेकिन, कई कारणों से इस समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। आशा जताई जा रही थी कि जापानी पीएम शिंजो आबे की भारत यात्रा के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं लेकिन भारत में सीएए को लेकर जारी विरोध प्रदर्शनों के कारण उनकी यात्रा रद्द हो गई थी और यह डील भी अटक गई।