नेपाल: राजदूत के बचाव में उतरा चीनी दूतावास

नेपाल: राजदूत के बचाव में उतरा चीनी दूतावास
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काठमांडू
नेपाल में इन दिनों सियासी तूफान उठा हुआ है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से विपक्ष के साथ-साथ उनकी खुद की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) के अंदर से ही इस्तीफे की मांग अपने चरम पर है। इस सबके बीच देश में चीन की राजदूत हाओ यांकी की राजनीतिक घटनाक्रम में दखल को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इस बारे में अब दूतावास ने यांकी का बचाव किया है और कहा है कि चीन नही चाहता कि NCP में मुश्किल पैदा हो।

‘अपने मतभेद सुलझाएं नेता’
चीन के दूतावास ने प्रवक्ता झान्ग सी ने काठमांडू पोस्ट को बताया है कि चीन नहीं चाहेगा कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी मुश्किल में हो और चाहता है कि नेता अपने मतभेद सुलझाकर एकजुटता से रहें। झान्ग ने कहा है, ‘दूतावास नेपाल के नेताओं से अच्छे संबंध रखता है और किसी भी वक्त पर आमहितों पर विचार साझा करने के लिए तैयार है।’ झान्ग ने कहा कि राजदूत और दूतावास सरकार, राजनीतिक दलों, थिंक-टैंक्स और नेपाल के हर क्षेत्र से अच्छे संबंध रखते हैं।

सिर्फ दहल से नहीं मिली हैं हाओ
दरअसल, एक हफ्ते में हाओ ने राष्‍ट्रपति बिद्या भंडारी, नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के वरिष्‍ठ नेता माधव कुमार नेपाल, झालानाथ खनल से मुलाकात की है। बड़े नेताओं में वह ओली के धुर विरोध हो चुके पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ से नहीं मिली हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि दहल उनसे मिलने को तैयार नहीं हैं। गत 3 जून को चीनी राजदूत ने राष्‍ट्रपति बिद्या भंडारी से ‘शिष्‍टाचार’ मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद ही चीनी राजदूत और ज्‍यादा सवालों के घेरे में आ गईं।


नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता से डरता है चीन

यही नहीं नेपाली विदेश मंत्रालय ने भी कहा कि चीनी राजदूत के मामले में राष्‍ट्रपति राजनयिक आचार संहिता का उल्‍लंघन कर रही हैं। नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के आंतरिक सूत्रों ने बताया कि चीनी राजदूत पार्टी नेताओं एकजुट रहने के लिए कह रही हैं, क्‍योंकि पेइचिंग को यह डर सता रहा है कि नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो सकती है। उधर, विदेश मामलों के जानकारों का कहना है कि चीनी राजदूत का मुलाकात करना सामान्‍य बात नहीं है।

नेपाल में ओली बनाम प्रचंड
बता दें कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के अंदर ओली के विरोध में काफी वक्त से आवाजें उठ रही हैं और उनका इस्तीफा मांगा जा चुका है। पिछले दिनों ओली ने राष्ट्रपति भंडारी से मिलकर संसद का बजट सत्र तक रद्द करा दिया था और अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से बच गए थे। अब पार्टी की मीटिंग का इंतजार किया जा रहा है और बीच के वक्त में दहल और ओली के बीच की खाई को पाटने की कोशिशें की जा रही हैं।

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