चीनी माल का Boycott, तिलमिलाया चीन
लद्दाख में सीमा संघर्ष के बाद में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार को लेकर उठ रही आवाजों पर को तगड़ी मिर्ची लगी है। अपनी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका से तिलमिलाए चीन ने भारत को अब जीडीपी का धौंस दिया है। चीन ने अपने मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में लिखा कि हमारी जीडीपी भारत से पांच गुनी ज्यादा है। इतना ही नहीं, चीन ने चुनौती देने की भाषा में लिखा कि भारत उन प्रोडक्ट्स का उत्पादन नहीं कर सकता जिसे वह चीन से मंगाता है।
हरभजन सिंह और सेना के एक मेजर का लिया नाम
ग्लोबल टाइम्स ने क्रिकेटर हरभजन सिंह और भारतीय सेना के रिटार्यड मेजर रणजीत सिंह के चीनी सामानों के बहिष्कार करने को लेकर कहा कि उन्हें लगता है कि ऐसा करके वे चीन की नुकसान पहुंचा सकते हैं। चीन की सरकारी मीडिया ने यह भी कहा कि भारत चीन से व्यापार को लेकर कई तरह की पाबंदिया भी लगाने जा रहा है जिसमें चीन के 300 उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाना शामिल है। चीन ने कहा कि ये भारत की दीर्घकालिक योजनाएं हो सकती हैं, लेकिन कुछ मीडिया ने इन योजनाओं का उपयोग भारतीय समाज की चीन विरोधी भावना को भड़काने लिए किया है।
बहिष्कार के बावजूद चीन से बढ़ रहा व्यापार
चीन की सरकार समर्थित मीडिया ने आरोप लगाया कि भारत की चरम राष्ट्रवादी ताकतें अपनी भावनाओं को हवा देने के लिए सबसे सस्ते करने का नारा दे रही हैं। वास्तव में, भारत की कट्टरपंथी ताकतें हर साल चीनी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान करती रही हैं, लेकिन चीन-भारत व्यापार का विस्तार लगातार होता रहा है। भारत, चीन से अधिक से अधिक वस्तुओं का आयात कर रहा है, जिसके कारण भारत को हर साल चीन के साथ अरबों के व्यापार घाटे का सामना करना पड़ता है।
भारत को चुनौती- नहीं कर सकता चीन के उत्पादों का निर्माण
चीनी मीडिया ने भारत को चुनौती देते हुए कहा कि चीनी सामानों का बहिष्कार करना भारत के हित में नहीं होगा क्योंकि वह कई चीनी उत्पादों का उत्पादन नहीं कर सकता है और न ही पश्चिमी देशों से इन उत्पादों को उतने कम कीमत पर खरीद सकता है। चीनी मोबाइल, चीनी लैंप, चीनी मिट्टी की वस्तुएं और सूटकेस भारतीय उपभोक्ताओं के लिए सबसे उपयुक्त हैं। कम कीमतों और अच्छी गुणवत्ता के साथ इन उत्पादों को दूसरे के साथ बदलना भारत के लिए मुश्किल है।
जीडीपी को लेकर बघारी शेखी
ग्लोबल टाइम्स ने शेखी बघारते हुए कहा कि चीन की जीडीपी भारत से लगभग पांच गुना है। इस तरह के अंतर के साथ छोटी अर्थव्यवस्था चीन को चुनौती कैसे दे सकती है। भारत अमेरिका के रवैये की नकल नहीं कर सकता। चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध छेड़ने पर भारत को अधिक नुकसान होगा और भारतीय लोगों की आजीविका पर इसका असर पड़ेगा।