नेपाल: नक्शे को लेकर फंसे ओली, पार्टी में विरोध
भारत की आपत्ति को दरकिनार करते हुए विवादित नक्शे को कानूनी अमलीजामा पहनाना अब नेपाल के प्रधानमंत्री के लिए भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। ओली की कम्यूनिस्ट पार्टी में ही नेपाल के नए नक्शे को लेकर विरोध के सुर उठने लगे हैं। नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी के कई सांसदों ने नाराजगी जताई है कि पार्टी अध्यक्ष होते हुए ओली ने नक्शे को लेकर एक बार भी पार्टी फोरम पर अपने विचार नहीं रखे हैं।
सभी दलों ने नक्शे पर दिया सरकार का साथ
चुनाव के दौरान केवल नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी ने ही नहीं बल्कि उनके पीछे सभी दलों ने भारत के साथ सीमा विवाद के मामले को जोर शोर से उठाया था। इन दलों ने लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपना बताते हुए इस पर कब्जे की बात भी कही थी, लेकिन अब राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के हस्ताक्षर के बाद नया नक्शा कानून बन गया है।
अब अपनी ही पार्टी के खिलाफ खड़े हुए नेता
भारत के करीबी माने जाने वाले कई राजनेताओं ने भी नक्शे को लेकर न तो कभी पीएम ओली का विरोध किया न ही कम्यूनिस्ट पार्टी की सीमा को लेकर दिए जा रहे बयान के खिलाफ आवाज उठाई। लेकिन, अब चीन के साथ भारत के जारी तनाव के बाद कई नेताओं ने सीमा विवाद को लेकर फिर से नरमी दिखाना शुरू कर दिया है।
पार्टी का आरोप- एकतरफा सरकार चला रहे ओली
केंद्रीय समिति के सदस्य हेमराज भंडारी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने फिर से सरकार को एकतरफा चलाने की अपनी आदत को शुरू किया है। पार्टी के नेता नक्शे के कारण नहीं बोल रहे हैं लेकिन उनका धैर्य अब टूट रहा है। अप्रैल में आयोजित सचिवों की बैठक में ओली के एकतरफा तरीके से सरकार चलाने को लेकर नाराजगी जताई गई थी। जिसके बाद उन्होंने सबसे साथ मिलकर सरकार चलाने का संकल्प लिया था। लेकिन, हाल में उन्होंने अपनी पुरानी आदतों को फिर से शुरू कर दिया है।
नियुक्तियों पर घिरी सरकार
मंगलवार को ओली के निजी चिकित्सक डॉ दिब्या सिंह शाह को त्रिभुवन विश्वविद्यालय के चिकित्सा संस्थान का डीन नियुक्त किया गया। हालांकि, वह वरिष्ठता के क्रम में काफी नीचे थे। भंडारी ने कहा कि सरकार के इस फैसले से पार्टी को आलोचना का सामना करना पड़ा। लोगों ने कहा कि ओली सरकार में अयोग्य होने के बावजूद उनके विश्वासपात्रों को ही नियुक्ति मिल सकती है।
पार्टी के सांसद भी ओली से नाराज
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की सांसद राम कुमारी झाकरी ने कहा कि ओली पार्टी की बैठकों से बचते रहे हैं क्योंकि वह पार्टी नेताओं का सामना नहीं कर सकते। राम कुमारी झाकरी ने कहा कि 23 जून को स्थायी समिति की बैठक बुलाई गई है, लेकिन हमें विश्वास नहीं है कि वह बैठक आयोजित होगी। अगर स्थायी समिति की बैठक आयोजित की जाती है, तो नेता कोरोना वायरस को लेकर सरकार के खराब प्रदर्शन सहित कई मुद्दों पर ओली से सवाल पूछेंगे।
44 सदस्यों में ओली के पक्ष में 13
44 सदस्यीय स्थायी समिति में ओली के पक्ष में केवल 13 सदस्य हैं। उनमें बिष्णु रिमल, सुबाह निंबांग, सत्य नारायण मंडल, रघुबीर महासेठ, पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, किरण गुरुंग, शंकर पोखरेल, प्रदीप ग्यावली और छबील बिश्कर्मा, महासचिव बिष्णु पोडेल, गृह मंत्री राम बहादुर थापा, और उप प्रधानमंत्री ईश्वर पोखरा शामिल हैं।