US: कोरोना के इलाज में अब HCQ का प्रयोग नहीं
अमेरिका ने के इलाज के लिए मलेरिया की दवा के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया है। अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन ने अपने आदेश में कहा कि इस दवा के इस्तेमाल से मरीजों के ऊपर घातक दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है। वहीं, इस बात के सबूत भी मिल रहे हैं कि यह दवा कोरोना वायरस के रोगियों पर कोई भी सकारात्मक असर नहीं कर रही है। गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की करोड़ों गोलियां भारत से खरीदी थीं। भारत इस दवा के प्रमुख उत्पादकों में से एक है।
एफडीए ने कहा- इससे मरीजों को खतरा ज्यादा
अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस के उपचार में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन दवा के प्रभावी होने की संभावना नहीं है। दिल की बीमारी से जुड़ी रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए एफडीए ने कहा कि इस दवा के सेवन से लाभ की तुलना में रोगियों को खतरा अधिक है। इस दवा के इस्तेमाल से दिल संबंधिक बीमारियां, लो ब्लड प्रेशर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचने की संभावना है।
HCQ को अब वितरित नहीं किया जाएगा
एफडीए के इस आदेश से अमेरिकी सरकार से प्राप्त HCQ दवाओं के शिपमेंट को अब राज्य और स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों को वितरित नहीं किया जाएगा। हालांकि ये दवाएं अभी भी वैकल्पिक उपयोग के लिए उपलब्ध हैं। एफडीए ने कहा कि अमेरिकी डॉक्टर कोरोना वायरस के इलाज के लिए अभी भी उन्हें लिख सकते हैं।
ट्रंप ने लगाया था खराब छवि बनाने का आरोप
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि इस दवा की खराब छवि इसलिए बनाई गई क्योंकि वह इसका प्रचार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जाहिर तौर पर मैं बहुत खराब प्रचारक हूं। अगर कोई और इसका प्रचार कर रहा होता तो वे कहते कि यह बहुत अच्छी दवा है।
यह बहुत कारगर दवा: ट्रंप
ट्रंप ने कहा कि मुझे लगता है कि यह बहुत कारगर दवा है और यह आपको नुकसान नहीं पहुंचाती और संभवत: यह अच्छी होगी और मुझ पर इसका कोई खराब असर नहीं पड़ा। उन्होंने कहा कि मलेरिया के इलाज में काम आने वाली इस दवा पर दुनियाभर के चिकित्सकों ने अच्छी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने दावा किया कि इटली, फ्रांस और स्पेन जैसे देशों में इसके बारे में बड़े-बड़े अध्ययन हुए हैं और अमेरिका में चिकित्सक इसे लेकर काफी आशावान हैं।