कौन थे Edward Colston ब्रिटेन में गिरा जिनका पुतला?

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अमेरिका में पुलिस के हाथों मारे गए जॉर्ज फ्लॉएड (George Floyd) को इंसाफ दिलाने की मांग के साथ शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के सहारे दुनियाभर में रंगभेद के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। खासकर ब्रिटेन में बड़े स्तर पर प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं। इस बीच पोर्ट ऑफ ब्रिस्टल में प्रदर्शनकारियों ने Edward Colston का पुतला गिराकर पानी में बहा दिया। पुतला गिराए जाने के बाद कुछ लोग ठीक उसी तरह उसकी गर्दन पर घुटने रखकर बैठे, जैस Floyd की मौत हुई थी। इस दौरान वहां मौजूद बाकी लोगों ने जश्न में नारे भी लगाए। आखिर कौन थे Edward Colston जिनका पुतला गिराया जाना ब्रिस्टल के लोगों के लिए खुशी का मौका था? जानते हैं पूरी कहानी…

1636 में पैदा हुए कोल्स्टन की 1721 में मौत के 170 साल बाद 1895 में यह मूर्ति स्थापित की गई थी। 19वीं सदी में शहर के लोगों को लगता था कि एक स्थानीय आइडल की जरूरत है। इसलिए ब्रिस्टल में कोल्स्टन की कहानी अलग तरह से लिखी जाने लगी। दरअसल, कोल्स्टन रॉयल अफ्रीकन कंपनी में स्लेव ट्रेडर थे और उन्हें 84,000 अफ्रीकी लोगों को गुलाम बनाए जाने के लिए जिम्मेदार बताया जाता है, जिनमें से 19,000 की अटलांटिक के रास्ते में मौत हो गई लेकिन उस वक्त के ब्रिस्टल के लोग उन्हें इसके लिए गलत नहीं नहीं मानते थे बल्कि उन्हें समाज-सेवी के तौर पर देखा जाता था।

क्रिस्टोल को ‘ब्रिस्टल का बेटा’ माना जाता था, जो इसी शहर में बड़ा हुआ और इसकी सेवा में जुटा रहता था। उस मूर्ति पर भी यही प्लाक लगा हुआ था। 13 नवंबर, 1895 को कोल्स्टन के जन्मदिन पर इस मूर्ति को स्थापित किया गया था। इस दिन को कोल्स्टन डे के तौर पर मनाया जाने लगा। कोल्स्टन के काम को समुद्री व्यापार के तौर पर देखा जाता था। उन्होंने एक बॉयज स्कूल की स्थापना की जिसके बाद 1891 में गर्ल्स स्कूल भी बनाया गया। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि बॉयज स्कूल में उनके जहाजों के लिए नाविक तैयार किए जाते थे। इसलिए इसे समाज सेवा मानना पूरी तरह ठीक नहीं है।

RAC के साथ काम करते हुए कोल्स्टन ने लाखों लोगों को करेबियन और वर्जीनिया में काम करने के लिए भेजा था। इन लोगों के सीने पर कंपनी की मुहर लगी होती थी। RAC को रॉयल नेवी का संरक्षण भी मिला हुआ था। ब्रिस्टल इंटरनैशनल पोर्ट था और यहां कोल्स्टन जैसे कई इन्वेस्टर्स ब्रिटेन, पश्चिम अफ्रीका और करेबियन के स्लेव ट्रेड से जुड़े थे। इन लोगों के जरिए शहर में काफी पैसा आता था जिससे कई संस्थान और इमारतें बनवाई जाती थीं। गरीबों के रहने के लिए भी घर बनवाए जाते थे। इसलिए जाहिर है ब्रिस्टल के लोगों के लिए ये लोग मसीहा होते थे।

आज के ब्रिस्टल में बड़ी संख्या में करेबियन आबादी रहती है। यहां के लोगों का मानना है कि सदियों पहले जो गलतियां पूर्वजों ने की थीं, उन्हें दोहराना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें ठीक करना चाहिए। ब्रिटेन में स्लेव ट्रेड 1807 में खत्म किया गया लेकिन औपचारिक गुलामी 1834 के बाद ही अवैध घोषित की गई। ब्रिस्टल में कम से कम तीन साल से कोल्स्टन के शहर के लिए किए गए कामों पर पुनर्विचार करने के लिए एक याचिका चल रही है। ब्रिस्टल की मूर्ति को हटाने की मांग करने वाली याचिका पर 7000 से ज्यादा लोग साइन कर चुके हैं।

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