चीन ने माना, नष्ट किए थे कोरोना के सैंपल
कोरोना वायरस को लेकर चीन को शुरुआत से आलोचना और सवालों का सामना करना पड़ रहा है। अब एक स्वास्थ्य अधिकारी के ताजा बयान से एक बार फिर सवालों की झड़ी लग गई है। इस अधिकारी ने खुलासा किया है कि देश में कोरोना वायरस के शुरुआती सैंपल्स को नष्ट कर दिया गया था। उन्होंने कहा है कि खतरनाक वायरस को फैलने से बायोसेफ्टी को ध्यान में रखते हुए एक्सपर्ट्स की राय और रीसर्च के बाद यह फैसला किया गया था।
‘कैसे पता चले कहां से आया‘
गौरतलब है कि अमेरिका चीन पर कोरोना वायरस कैसे फैला और इसे पहले क्यों नहीं रोका गया, ऐसे सवालों में पारदर्शिता को लेकर हमलावर रहा है। देश के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो पहले भी आरोप लगा चुके हैं कि देश की कम्यूनिस्ट पार्टी पर वैश्विक महामारी के हालात में अंतरराष्ट्रीय पारदर्शिता को ताक पर रख रही है। उन्होंने आरोप लगाया है कि चीन ने वायरस के सैंपल नष्ट कर दिए जिस कारण वह कहां से पैदा हुआ यह पता लगाना मुश्किल हो गया है।
सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया
हालांकि, लिओ ने कहा कि है कि पॉम्पियो का बयान गुमराह करने वाला है। उन्होंने दावा किया है कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एहतियात के तौर पर सैंपल्स को नष्ट किया गया था। उन्होंने कहा, ‘अगर किसी लैब में वायरस को स्टोर करने के लिए जरूरी कंडीशन्स नहीं हैं तो उन्हें वहीं उसे नष्ट कर देना चाहिए या ऐसे प्रफेशनल स्टोरेज इंस्टिट्यूशन्स में भेज देना चाहिए जहां ऐसी फसिलटी हो।’ उन्होंने कहा है कि ऐसे नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है।
WHO को बताने से पहले नष्ट किया
चीन के एक मीडिया आउटलेट ने दावा किया है कि दिसंबर के अंत में किए गए टेस्ट्स में SARS जैसे घातक वायरस की आशंका सामने आई थी। इसके बाद ये सैंपल नष्ट किए गए थे। इस रिपोर्ट के मुताबिक तब तक चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस बारे में सूचना नहीं दी थी। करीब दो हफ्ते बाद दुनिया से वायरस का जीनोम शेयर किया गया था। पॉम्पियो ने चीन पर आरोप लगाया था कि उसके जानकारी छिपाने की वजह से कोरोना वायरस को रोकने के लिए वैक्सीन और इलाज के लिए दवा बनाने में दुनिया को इतनी मुश्किल हो रही है।