सांसद सरोज पाण्डेय ने राज्यसभा में एसिड हमलों के लिए दंड की मात्रा को बढ़ाने प्राइवेट मेंबर बिल प्रस्तुत किया

सांसद सरोज पाण्डेय ने राज्यसभा में एसिड हमलों के लिए दंड की मात्रा को बढ़ाने प्राइवेट मेंबर बिल प्रस्तुत किया
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नई दिल्ली । राज्यसभा सांसद एवं भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव सुश्री सरोज पाण्डेय ने एसिड फेंकने वाले हमलों की बढ़ती संख्या को लेकर आज राज्यसभा में भारतीय दंड संहिता, 1860 का और संशोधन कर एसिड हमलों (Acid Attack) के लिए दंड की मात्रा बढ़ाते हुए इसमें और कठोर दंड देने का प्रावधान करने की मांग करते हुए भारतीय दंड संहिता (संशोधन) विधेयक, 2020 का प्रस्ताव ला कर विधेयक को पुरः स्थापित किया है।

सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय द्वारा प्रस्तुत विधेयक में बताया गया है कि एसिड फेंकने वाले हमलों की संख्या लगातार बढ़ रही है और इसका भारत मे एक विशिष्ट लैंगिक आयाम है एसिड फेंकना एक अत्यंत हिंसक अपराध है जिसके द्वारा अपराध करने वाले अपराधी का उद्देश्य पीड़ितों को गंभीर शारीरिक और मानसिक पीड़ा पंहुचाना होता है यह अक्सर लड़कियों व महिलाओं के खिलाफ मन मे घर कर चुकी ईर्ष्या या बदले की भावना से प्रेरित होता है लक्ष्मी पर हुआ एसिड का हमला एक ऐसा उदाहरण है जो बताता है कि एसिड से होने वाले हमलों के मामलों में सामान्यतः क्या होता है। एक एसिड हमले का पीड़ित के जीवन पर लंबे समय तक प्रभाव पड़ता है और वह अपने शेष जीवन में लगातार यातना, स्थायी क्षति और अन्य समस्याओं का सामना करता है इसके पीड़ित सामान्य रूप से स्वयं को अयोग्य, भयभीत और बंधक महसूस करते है और अपनी कुरूपता के कारण सामाजिक रूप से बहिष्कृत हो जाते हैं।

2013 तक, एसिड हमलों से जुड़े मामलों की संख्या का पता लगाने के लिए कोई स्पष्ट तंत्र नहीं था क्योंकि भारतीय दंड संहिता ने इसे एक अलग अपराध के रूप में मान्यता नहीं दी थी, भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एसिड हमले के अपराध पर विचारण किया गया और ऐसे हमलों के आंकड़े का कोई अनुमान उपलब्ध नहीं था। दंड विधि (संशोधन) अधिनियम, 2013 के द्वारा भारतीय दंड संहिता में नई धाराएं 326क और 326ख अंतः स्थापित की गई और एसिड हमलों के प्रयोग को और एसिड फेंकने या फेंकने का प्रयास करने को घोर अपहति का विशिष्ट अपराध माना गया है। यह प्रमाण दिया जाता है कि भले ही पीड़ित सामान्य जीवन जीने के लिए तैयार हो, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि हमलें के बाद उनकी कुरूपता और निःशक्तता को देखते हुए समाज स्वयं उनके साथ सामान्य मनुष्यों की तरह व्यवहार करेगा। अतः भारतीय दंड संहिता में प्रस्तावित दंड अपर्याप्त है और इन हमलो के अपराधियों को कड़ी सजा देने ओर हमले के पीड़ित के मौद्रिक व आर्थिक पुनर्वास के लिए इसमें संशोधन की अत्यंत आवश्यकता है।

सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय द्वारा प्रस्तुत भारतीय दंड संहिता (संशोधन) विधेयक, 2020 का यह प्रस्तावित करता है कि भारतीय दंड संहिता अंतर्गत एसिड हमलों (Acid Attack) के लिए दंड की मात्रा अपर्याप्त है इस दंड को बढ़ाया जाए और कठोर दंड देने का प्रावधान कर भारतीय दंड संहिता में संशोधन किया जाएं ताकि इस अपराध को अंजाम देने वालो के अंदर भय जागृत हो एवं ऐसे अपराधियों पर कठोर दंड देने के उपाय से लड़कियों व महिलाओं पर होने वाले एसिड हमलों पर अंकुश लग सके।
सुश्री सरोज पाण्डेय ने कहा कि यह एसिड हमलों के शिकार पीड़ितों व महिलाओं की असहनीय शारीरिक और मानसिक पीड़ा पर मरहम लगाने का एक प्रयास है तथा आशा व उम्मीद है कि कठोर दंड के भय से भविष्य में अपराधी ऐसा कृत्य करने का साहस न कर सकें।

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