दिव्यांग फौजियों के सम्मान में होगा 'अल्टीमेट रन'

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नई दिल्ली
हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब एक दिन… ये गीत गाते 10 स्कूली बच्चे (दिव्यांग) न सिर्फ चुनौतियों से पार पाने के अपने जज्बे को दिखाएंगे बल्कि उन फौजियों के परिवार वालों का हौसला बढाएंगे जिन्होंने देश की रक्षा के लिए खुद का जीवन दांव पर लगाया। दिल्ली में इस शनिवार को एक ऐसी दौड़ होने जा रही है जिसके जरिए लोगों को बताने की कोशिश होगी कि सीमा पर देश की रक्षा में तैनात फौजियों के परिवार वालों को किस तरह चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह चुनौती और बढ़ जाती है जब देश की रक्षा करते हुए जवान अपने शरीर का कोई अंग खो कर वापस आते हैं।

एंजल रन में लेंगे हिस्सा
भारतीय सेना ने यह साल फौजियों के परिजनों (NoK) को समर्पित किया है। 19 अक्टूबर को दिल्ली में परेड ग्राउंड में शहीद फौजियों के और देश की रक्षा करते हुए दिव्यांग हुए फौजियों के परिजन जुटेंगे। ये सब एंजल रन का हिस्सा बनेंगे। देश की जिम्मेदारी निभाते हुए शरीर का अंग खोने वाले करीब 75 फौजी भी होंगे, जिनमें कई व्हीलचेयर में होंगे। इसमें आर्मी स्कूल के बच्चे भी उनका साथ देंगे। आर्मी के ‘आशा’ स्कूल के 16 बच्चे भी इस दौड़ का हिस्सा होंगे। ये स्कूल दिव्यांग बच्चों के लिए चलाया जाता है। इसी स्कूल के 10 बच्चे ‘हम होंगे कामयाब’ गाने की प्रैक्टिस कर रहे हैं ताकि शनिवार को जब फौजियों और उनके परिजनों के हौसलाअफजाई के लिए ये गीत गाएं तो सुरताल परफेक्ट हों। दौड़ में 83 साल के एक रिटायर्ड फौजी भी हिस्सा लेंगे साथ ही 11 ब्लेड रनर। इन सब ने देश की रक्षा करते हुए अपने अंगों की कुर्बानी दी है।

ताकि कुर्बानी की हो कद्र
सेना के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि सीमा पर फौजी जितनी चुनौतियों का सामना करते हैं उनके परिजन भी उतनी ही चुनौती झेलते हैं। एक शहीद के परिजन को उनके जाने के बाद जितनी चुनौतियों का सामना करना होता है उससे ज्यादा चुनौती उन फौजियों के परिजनों को झेलनी होती हैं जो देश के लिए लड़ने के बाद लौट कर घर तो आ जाते हैं लेकिन अपने पूरे शरीर के साथ नहीं। उन्हें मिलने वाली सुविधाएं भी कम हैं। उनको समाज के साथ की ज्यादा जरूरत है। 19 अक्टूबर को होने वाली इस ‘अल्टीमेट रन’ के जरिए हम समाज को उनकी चुनौतियों को लेकर जागरूक करना चाहते हैं ताकि समाज उनसे बेहतर तरीके से जुड़े। साथ ही उन्हें भरोसा दिलाना चाहते हैं कि हम हमेशा उनके साथ हैं।

Source: National

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