मप्र में स्क्रब टाइफस बीमारी की दस्तक, सभी जिलों में अलर्ट

मप्र में स्क्रब टाइफस बीमारी की दस्तक, सभी जिलों में अलर्ट
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ग्वालियर. डेंगू, चिकनगुनिया की बीमारी अब तक खत्म नहीं हुई थी कि प्रदेश में स्क्रब टाइफस नाम की बीमारी ने दस्तक दे दी है. यह बीमारी पानी भराव वाले क्षेत्रों में पनपने वाले परजीवी ओरिएंटा सुसुगामुशी एवं चूहों (पिस्सू) से फैलती है. प्रदेश में भोपाल, विदिशा, सागर सहित कई जिलों में इस बीमारी से पीड़ित मरीज मिले हैं.

इसमें संक्रमित घुन या चूहे के काटने के बाद पहले हल्का निशान पड़ता है. धीरे-धीरे पूरे शरीर पर लाल धब्बे पड़ना शुरू हो जाते हैं. यदि समय रहते इलाज नहीं मिले तो मरीज की मौत भी हो सकती है. इस बीमारी से 30 प्रतिशत लोगों की मौत हो चुकी है.

हिमाचल प्रदेश में इस बीमारी से 20 सितंबर 2016 में करीब 20 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद केरला, तमिलनाडू एवं जम्मू कश्मीर में भी इस बीमारी के कई पीड़ित मरीज मिले थे. प्रदेश की चिंता तब बढ़ गई, जबकि भोपाल में निजी अस्पताल में उपचार करा रहे भोपाल, विदिशा, सिहोर, राजगढ़, रायसेन के मरीजों में भी इस बीमारी के लक्षण पाए गए.

इसके बाद राज्य शासन ने सभी जिलों के सीएमएचओ एवं सिविल सर्जन को अलर्ट जारी किया है. इसमें चूहों पर नियंत्रण रखने के लिए मेटीसाइड दवा का प्रयोग करने की हिदायत दी गई है. साथ ही लोगों को फुल कपड़े एवं शरीर के खुले भागों पर घुन से बचाव वाली क्रिम का उपयोग करने की सलाह भी दी गई है.

कैसे फैलती है यह बीमारी

– जलजमाव वाले इलाकों, पहाडी क्षेत्रों, घने जंगली इलाकों एवं खेतों में यह कीडा पनपता है.

– इस कीड़े को ओरिएंटा सुसुगामुशी कहते हैं. साथ ही इसके वाहक चूहे भी होते हैं.

– कीड़ा या चूहा जब काटता है तो लार्वा के जरिए यह जीवाणु मानव शरीर में प्रवेश कर जाते हैं.

– इसके बाद यह जीवाणु लिवर, दिमाग एवं फेंफड़ों को संक्रमित कर देता है.

– रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है. यदि इलाज न मिले तो मल्टी आर्डर डिसआर्डर भी हो सकता है.

क्या हैं बचाव के तरीके

– एलाइजा टेस्ट व इम्युनोफ्लोरेसेंस टेस्ट से स्क्रब टाइफस एंटीबॉडीज का पता लगाया जाता है.

– बरसात के दिनों में जंगली पौधे खुद व खुद उगने लगते हैं. इसके चलते घर के आसपास घास झाडियां न उगने दें और समय पर सफाई करते रहें.

– घास या झाडियों में अगर आप जाते हैं तो जूते और ग्लब्ज आदि का उपयोग जरूर करें.

– ऐसे कपड़े का उपयोग करें, जिससे आपका शरीर अच्छी तरह से ढंका रहे.

– आसपास जलजमाव बिल्कुल न होने दें.

– डीडीटी जैसी कीटनाशकों का छिड़काव करवाते रहें.

– यदि आसपास किसी को संक्रमण है तो विशेष सावधानी बरतें.

– 2-3 दिन से अधिक समय तक बुखार हो तो तुरंत चिकित्सक से मिले और रक्त जांच कराएं.

बीमारी के लक्षण

– चूहे या परजीवी के काटने से वहां फफोलेनुमा काली पपड़ी जैसा निशान बन जाता है.

– मरीज को तेज बुखार होता है.

– मांसपेशियों में दर्द व शरीर में कमजोरी आने लगती है.

– जी मचलाना, भूख न लगना, खाने की इच्छा में कमी, पेट खराब होना हो सकता है.

– गंभीर अवस्था में रोगी के प्लेटलेट्स की संख्या भी कमी आने लगती है.

सीएमएचओ ने जारी किए निर्देश

सीएमएचओ डॉ. एसएस जादौन ने राज्य शासन से मिले निर्देशों के बाद सभी अस्पतालों को इस बीमारी को लेकर अलर्ट रहने के निर्देश जारी किए हैं. साथ ही कंट्रोल रूम नंबर 2446000 भी जारी किया गया है. यदि कहीं भी कोई इस बीमारी से पीडित मरीज मिलता है तो इस नंबर सूचना देने की अपील की गई है.

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