हिंदी थोपी तो सड़कों पर उतरेंगे प्रदेश के युवा : डीएमके

हिंदी थोपी तो सड़कों पर उतरेंगे प्रदेश के युवा : डीएमके
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

नई दिल्ली : नई शिक्षा नीति में हिंदी को लेकर विवाद बढ़ गया है . नई शिक्षा नीति के मसौदे से तमिलनाडु के लोग नाराज हैं. नई नीति के मसौदे में 3 भाषाएं पढ़ाने की बात हो रही है, जिसमें हिंदी भी शामिल है. इसी बात को लेकर दक्षिण में विरोध शुरू हो गया है. नेताओं और सिविल सोसायटी ने कहा कि इसे थोपा जा रहा है.

तमिलनाडु में डीएमके राज्यसभा सांसद तिरुचि सिवा ने केंद्र को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर केंद्र की सरकार तमिलनाडु के लोगों पर हिंदी भाषा को थोपने की कोशिश की तो प्रदेश के लोग सड़क पर उतरकर इसका पुरजोर विरोध करेंगे।

तिरुचि ने कहा कि सरकार अगर हिंदी को अनिवार्य रूप से लागू करती है तो यह आग में घी डालने जैसा होगा और प्रदेश के युवा लोग इसके खिलाफ सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करेंगे। नई शिक्षा नीति के बारे में बात करते हुए तिरुचि ने कहा कि देश में हिंदी भाषी और गैर हिंदी भाषी राज्यों को अलग-अलग श्रेणियों में रखा गया है। ऐसे में अगर केंद्र की सरकार जबरन हिंदी को लागू कराने का प्रयास करेगी तो हम इसे रोकने के लिए हर परिणाम का सामना करने को तैयार रहेंगे।

इधर मक्कल निधि मय्यम के प्रमुख कमल हासन ने इस मामले पर कहा है कि सरकार ने तीन भारतीय भाषाओं की पढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। मैंने तमाम फिल्मों में काम किया है और मैं यह मानता हूं कि हिंदी भाषा को किसी भी व्यक्ति पर थोपना ठीक नही है। बता दें कि नई एजुकेशन पॉलिसी में कहा गया है कि बच्चों को प्री-प्राइमरी से लेकर कम से कम पांचवीं तक और वैसे आठवीं तक मातृभाषा में ही पढ़ाना चाहिए।

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

watchm7j

Leave a Reply

Your email address will not be published.