नमामि गंगे परियोजना के 2600 करोड़ का इस्तेमाल ही नहीं हुआ: कैग रिपोर्ट
नई दिल्ली : नमामि गंगे परियोजना पर नियंत्रक एवं महालेख परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि वास्तविक आधार पर जल की गुणवत्ता की निगरानी के लिये गंगा नदी के किनारे पहचाने गये 113 स्थलों में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड केवल 36 स्वचालित गुणवत्ता प्रणालियों की तैनाती कर सका, साथ ही राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, विभिन्न राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूहों तथा कार्यपालक एजेंसी एवं केंद्रीय क्षेत्र के उपक्रमों के पास काफी मात्रा में धनराशि अनुपयोगी पड़ी रही ।
संसद में पेश गंगा नदी का पुनरूद्धार ‘नमामि गंगे’ पर नियंत्रक एवं महालेख परीक्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2014..15 से वर्ष 2016..17 के दौरान संशोधित अनुमान की तुलना में निधि का उपयोग आठ से 63 प्रतिशत तक था । 31 मार्च 2017 को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, विभिन्न राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूहों तथा कार्यपालक एजेंसी एवं केंद्रीय क्षेत्र के उपक्रमों के पास क्रमश: 2133.76 करोड़ रूपये, 422 करोड़ रूपये तथा 59.28 करोड़ रूपये अनुपयोगी पड़े थे ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के कंसोर्टियम के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से साढ़े छह वर्षो से अधिक गुजर जाने के बाद भी दीर्घकालिक कार्य योजना को अंतिम रूप नहीं दे सका था । परिणमस्वरूप, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के पास राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण अधिसूचना के आठ साल से अधिक अवधि के बाद भी नदी घाटी योजना नहीं है । कैग ने कहा कि 2014..15 से 2016..17 से संबंधित 154 विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन में से केवल 71 विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन मंजूर किये गए थे ।
इन 71 में से 70 विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को 26 से 1140 दिनों तक की देरी के बाद मंजूरी दी गई थी । शेष 83 विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में से 54 विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन 120 से 780 दिनों तक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन स्तर पर लंबित थे । इसमें कहा गया है कि मई 2017 तक उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में नदी संरक्षण क्षेत्र की पहचान नहीं की गई थी । उत्तराखंड में पहचान कार्य प्रगति पर था ।
रिपोर्ट में प्रदूषण निवारण और घाट विकास के संदर्भ में कहा गया है कि अनुमोदित लक्ष्य तिथियों के अनुसार सभी जलमल उपचार संयंत्रों के लिये कार्य सौंपने का काम सितंबर 2016 तक पूरा करना था । अगस्त 2017 को कुल 1397 एमएलडी क्षमता की परियोजना के विस्तृत परियोजना प्रतिवेदनों का राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा अंतिम रूप से अनुमोदन किया जाना बाकी था ।
इसमें कहा गया है कि 5111.36 करोड़ रूपये की लागत से 46 जलमल उपचार संयंत्रों में से अवरोध और विपथन परियोजनाओं एवं नहर का काम शामिल है। इनमें से 2710.24 करोड़ रूपये की लागत वाली 26 परियोजनाओं के कार्यान्वयन में देरी जमीन की अनुपलब्धता, ठेकेदारों द्वारा धीमा कार्य और जलमल उपचार संयंत्रों के अल्प उपयोग के कारण हुई । रिपोर्ट में कहा गया है कि घाटों तथा शवदाह गृहों से संबंधित परियोजनाओं के कार्य को अपेक्षित मंजूरी प्राप्त नहीं होने के कारण नुकसान उठाना पड़ा ।