बिहार : ‘दल विरोधी आचरण करनेवालों को मिला सबक’
पटना : राज्यसभा के सभापति द्वारा शरद यादव व अली अनवर की सदस्यता समाप्त किये जाने का जदयू ने स्वागत किया है. पार्टी ने कहा कि यह फैसला देर से भले ही आया हो पर यह स्वागतयोग्य है.
पार्टी कार्यालय में बुधवार को आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेंस में जदयू सांसद आरसीपी सिंह ने कहा कि राज्यसभा सभापति के इस फैसले से पूरे देश में दल विरोधी आचरण करनेवालों के लिए संदेश गया है. सभापति के फैसले ने इस प्रकार की प्रवृत्ति पर रोक लगायी है. कई प्रदेशों में इस तरह की कई घटनाएं घटी हैं. सिंह ने कहा कि शरद यादव और अली अनवर ने उस समय ही दल का त्याग कर दिया था, जब वे राजद की गांधी मैदान में आयोजित रैली में लालू प्रसाद के साथ मंच पर उपस्थित हुए. उनको यह कहा गया था कि यदि आपलोगों को पार्टी छोड़नी है तो छोड़ दीजिए.
पर दोनों नेताओं ने अंतिम क्षण तक बहाना बनाया. चुनाव आयोग ने उनका तीन-तीन बार दावा खारिज कर 52 पेज का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी. शरद जी कहते हैं कि संस्थाएं लोकलाज से चलती हैं. पर लोकलाज को शरद यादव ने ही त्याग कर दिया. शरद के आरोप का जवाब देते हुए जदयू सांसद ने कहा कि नीतीश कुमार का न कभी ईमान बदला है और नहीं कभी बदलेगा. जदयू सांसद ने कहा कि शरद जी वंशवाद का विरोध करते थे. अब वंशवाद की विरासत उनके घर तक पहुंच गयी है.
राजद ने शरद यादव को राज्यसभा का ऑफर क्यों नहीं दिया : जदयू सांसद ने कहा कि लालू प्रसाद की तो पूरी राजनीति ही घृणा और ईर्ष्या की रही है. मायावती द्वारा राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद राजद ने उनको राज्यसभा का ऑफर दिया था. अब वह ऑफर शरद यादव को क्यों नहीं दिया.