शनि अमावस्या आज
प्रत्येक माह की अमावस्या तिथि पर कोई न कोई पर्व अवश्य मनाया जाता है. इस तिथि पर क्रय-विक्रय जैसे व्यवसायिक एवं समस्त सांसारिक शुभ कर्मों का निषेध है.
अमावस्या के नामकरण के बारे में धर्मग्रथों में एक कथा उल्लेख किया जाता है, जिसके अनुसार- प्राचीन समय में पितरों ने अच्छोद नामक एक सरोवर बनाया था. इन देव पितरों की एक कन्या थी, जिसका नाम था- अच्छोदा. जिसने कई वर्षों तक कठिन तप किया था जिससे उसे वर देने के लिये समस्त पितर पधारे.
उनमें से एक अति सुन्दर अमावसु पितर को देखकर अच्छोदा प्रभावित हो गई और अमावसु से प्रणय निवेदन करने लगी, लेकिन अमावसु इसके लिये तैयार नहीं हुये. अमावसु के धैर्य के कारण उस दिन की तिथि पितरों को अत्यंत प्रिय हुई और तभी से अमावसु के नाम पर अमावस्या पुकारी जाने लगी!
अमावास्या के स्वामी पितर होते हैं. माना जाता है कि इस तिथि में चन्द्रमा की सोलहवीं कला जल में प्रविष्ट हो जाती है. चन्द्रमा का वास अमावस्या के दिन औषधियों में होता है, इसलिए जल-औषधियों में प्रविष्ट उस अमृत को गौमातादि चारे-पानी के द्वारा प्राप्त करते हैं. वहीं अमृत हमें दूध के रूप में प्राप्त होता है.
धर्मधारणा के अनुसार अमावस्या को व्रत करना चाहिये. अमावस्या पर ऐसे ही कार्यों पर ध्यान देना चाहिए जो सांसारिक न होकर आध्यात्मिक हों.
हिन्दू धर्म में सर्वोत्तम धर्मकर्म दान माना गया है और इससे बड़ा ना तो कोई पुण्य है ना ही कोई धर्म. उत्तम दान वह है जो बदले में कुछ भी पाने की आशा के बिना किसी उत्तम ब्राह्मण, साधु, जरूरतमंद को प्रदान किया जाता है और उसका महत्व तभी है जब ससम्मान प्रदान किया जाता है.
दान के लिए तीन समय होते हैं, प्रतिदिन किया जानेवाला- नित्या, किसी उद्देश्य विशेष से किया गया नैमित्तिक और मनोकामना पूर्ण होने पर प्रदान किया गया- काम्या दान! मृत्यु से संबंधित- प्रायिक दान है.
इस माह में 18 नवंबर शनिवार को अमावस्या का योग बन रहा है. इससे बाल शोभन योग बन रहा है. शनि के साथ बुध और चंद्रमा की युक्ति से खेती एवं व्यापार में बढ़ोतरी के संकेत हैं.
27 योगों में एक है शोभन योग : ज्योतिषाचार्य डॉ सदानंद झा बताते हैं कि 1987 में यह योग बना था. 30 साल के बाद फिर यह योग बन रहा है. इस योग पर दान-पुण्य से लेकर खरीदारी करना और नये कार्यों की शुरुआत शुभ रहेगा. इस दिन पूजन व अनुष्ठान से शनि देव की कृपा जरूर बरसेगी. अभी शनि धनु राशि में मार्गी है तथा इस समय वृश्चिक, धनु व मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव चल रहा है.
वृषभ व कन्या राशि पर ढय्या का प्रभाव चल रहा है. सभी 27 योगों में शोभन योग नाम का भी एक योग है. यह योग यदि शनिवार को आये, तो इससे उस दिन का नक्षत्र और तिथि का प्रभाव कई गुना अधिक बढ़ जाता है. यदि तिथि में अन्य कोई भी दोष है, तो वह भी इस योग के होने से समाप्त हो जाता है.