मेट्रो के किराए को लेकर जारी है लेटर वॉर
नई दिल्ली : केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की चिट्ठी का तुर्की ब तुर्की जवाब देकर दिल्ली मेट्रो के किराया वृद्धि युद्ध को एक कदम और आगे बढ़ा दिया है. केजरीवाल को भेजे अपने ताजा खत में पुरी ने केजरीवाल की जानकारी पर सवाल उठाने के साथ ही उन्हें तथ्यों से काफी दूर बताया है.
बता दें कि पिछले चार दिनों से केजरीवाल और पुरी के बीच मेट्रो किराया बढ़ाने को लेकर चिट्ठी लिखने के दौर चल रहे हैं. केजरीवाल ने जहां किराया बढोत्तरी रोकने में केंद्र के उदासीन रवैये को जिम्मेदार ठहराते हुए केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया वहीं पुरी ने मेट्रो रेलवे (परिचालन और रखरखाव) एक्ट की धारा 86 और 37 की दुहाई देते हुए कहा कि केजरीवाल को पता होना चाहिए कि किराया निर्धारण कमेटी FFC की सिफारिशें रोकना दिल्ली मेट्रो रेल बोर्ड के अख्तियार में नहीं है. केंद्र सरकार भी किराया निर्धारण के क्षेत्र में FFC के काम में कोई दखल नहीं देती. इस सच्चाई को नजरअंदाज करते हुए आप लगातार अपनी ही बात की रट लगातार लगाए जा रहे हैं. मुझे इस पर हैरत है.
केजरीवाल के तीन सुझावों पर भी शहरी विकास मंत्री ने जवाब दिए हैं. दिल्ली मेट्रो दिल्ली सरकार को चलाने के लिए सौंपे जाने की पेशकश पर केंद्र ने साफ कहा है कि डीएमआरसी की नीति के मुताबिक ये मुमकिन नहीं है. नीति के मुताबिक मेट्रो का ज्वाइंट वेंचर DMRC के साथ 50:50 के अनुपात में है. ऐसे में किसी राज्य को इसे सौंपा नहीं जा सकता. DMRC की मेट्रो की क्षमता और कार्यकुशलता अब दुनिया में ब्रांड बन चुकी है. इसे किसी और को देने का सवाल ही नहीं.
पुरी ने केजरीवाल को आड़े हाथों लेते हुए ये भी कहा है कि शायद आपके अफसरों ने आपको ढंग से ब्रीफ नहीं किया इसलिए मैं आपको बताए देता हूं कि मेट्रो पॉलिसी बनाते वक्त राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से सुझाव और सलाह मांगी थी. लेकिन अब आप मेट्रो में कुछ करना चाहते हैं तो फेज 4 में अपना योगदान कर सकते हैं. ये पहले ही ढाई साल देरी से चल रहा है. इसे पूरा कर दें. इसके जरिए दिल्ली के 40 लाख लोग एनसीआर के शहरों से जुड़ेंगे. पुरी ने ये भी जोड़ा कि आपको डीटीसी का अनुभव भी इसमें आपके काम आएगा. और मेरी शुभकामनाएं तो साथ हैं ही.
इसके बाद पुरी ने केजरीवाल की चिट्ठी में दिये गए आंकड़ों की धज्जियां उड़ाई हैं.
– FFC ने 91% किराया बढ़ाने की सिफारिश की है जो 7% सालाना है. आपका आंकड़ा सत्य से परे है.
– मेट्रो प्रोजेक्ट शार्ट डिस्टेंस के लिए नहीं है.
– कोलकाता मेट्रो की आपने दुहाई दी है तो आपको मालूम होना चाहिए कि कोलकाता मेट्रो न तो डीएमआरसी की तरह स्वतंत्र है ना ही 50:50 मॉडल पर है और न ही ऐसे किसी फार्मूले पर. ये भारतीय रेल का हिस्सा है. इसी के फाइनेंसियल सपोर्ट पर रहती है और वो भी भारी घाटे में.