अखिलेश को सपा की कमान फिर मिलने के आसार

अखिलेश को सपा की कमान फिर मिलने के आसार
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नई दिल्ली: यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष फिर से बनेंगे या नहीं, इसका फैसला आज हो जाएगा. हालांकि मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद पाने के दावे के मद्देनजर गुरुवार को आयोजित होने वाले सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश के पार्टी अध्यक्ष चुने जाने की प्रबल संभावना है. इस राजनीतिक घटनाक्रम के बीच अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव अलग-थलग पड़ चुके हैं. उनके इस अधिवेशन में मौजूद न रहने के आसार हैं.

माना जा रहा है कि सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने भाई शिवपाल सिंह यादव और बेटे अखिलेश यादव के बीच चली रस्साकशी में समर्थन देने के लिए बेटे को चुन लिया है. यानी कि वे समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पद का ताज फिर से अखिलेश को देना चाहते हैं. अखिलेश इस बात का दावा कर चुके हैं. मुलायम सिंह भी संकेत दे चुके हैं कि उनका आशीर्वाद बेटे के साथ है. ऐसे में यह लगभग तय है कि अखिलेश फिर से पार्टी के अध्यक्ष बनेंगे और वह भी पांच साल के लिए. सपा के 10वें राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होगी, जिसमें अध्यक्ष के कार्यकाल की अवधि बढ़ाकर उसे पांच साल करने सहित विभिन्‍न महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी.

पार्टी के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी के अनुसार ‘‘बृहस्पतिवार को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी संविधान में संशोधन कर दल के अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल से बढ़ाकर पांच साल किया जाना है.’’ अखिलेश ने पिछले दिनों पिता मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अधिवेशन का न्यौता देने के बाद दावा किया था कि उन्हें सपा संरक्षक का आशीर्वाद प्राप्त है. मुलायम ने भी गत 25 सितम्बर को संवाददाता सम्मेलन में अखिलेश के विरोधी शिवपाल सिंह यादव के धड़े को झटका देते हुए कहा था कि पिता होने के नाते उनका आशीर्वाद पुत्र के साथ है.

मौजूदा पृष्ठभूमि में पूरी संभावना है कि अखिलेश को फिर से सपा अध्‍यक्ष चुन लिया जाएगा. कार्यकाल पांच वर्ष का किए जाने के बाद यह तय हो जाएगा कि सपा वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव और 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भी पार्टी अखिलेश के नेतृत्‍व में लड़ेगी. अखिलेश गत एक जनवरी को लखनऊ में आयोजित राष्‍ट्रीय अधिवेशन में मुलायम की जगह सपा के अध्‍यक्ष बने थे. उसमें मुलायम को पार्टी का ‘सर्वोच्‍च रहनुमा’ बना दिया गया था. साथ ही शिवपाल को सपा के प्रांतीय अध्‍यक्ष पद से हटा दिया गया था.

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