मैं गवर्नर विद द डिफरेंस हूं: द्रौपदी मुर्मू
जमशेदपुर : झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने खुद को ‘गवर्नर विद दे डिफरेंस’ बताया है. उन्होंने कहा, ‘राज्य के पूर्व राज्यपालों के साथ ही अन्य राज्यपालों को भी जानती हूं, जो कॉलेज-यूनिवर्सिटी के कार्यक्रमों में ही मुख्य रूप से शिरकत करते थे, लेकिन मैं गर्वनर विद द डिफरेंस हूं. मैं समाज के अंतिम व्यक्ति की समस्या से द्रवित हो जाती हूं. यही कारण है कि अक्सर मैं अस्पताल व छोटे-छोटे स्कूल का दौरा करती हूं अौर बच्चों को मोटिवेट करती हूं.’
राज्यपाल ने कहा कि झारखंड में प्राकृतिक संपदा तो खूब है, लेकिन मानव संपदा की स्थिति अच्छी नहीं है. मंगलवार को जमशेदपुर में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि राज्य में 26 फीसदी लोग आदिवासी हैं और इतनी बड़ी आबादी में 75 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने बिष्टुपुर स्थित रामदास भट्टा में मिड डे मिल तैयार करने वाली एजेंसी ‘इस्कॉन’ की अोर से आयोजित के दौरान कहा, ‘झारखंड की धरती में सोना है. यहां खनिज संपदा, भू संपदा, प्राकृतिक संपदा है लेकिन मानव संपदा की स्थिति अच्छी नहीं है. यही वजह है कि झारखंड राज्य तो अमीर है लेकिन यहां के लोग गरीब हैं. झारखंड की कुल आबादी का 26 फीसदी लोग अादिवासी हैं. अलग-अलग कुल 32 प्रकार की आदिवासी जातियां झारखंड में निवास कर रही हैं. लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि इतनी बड़ी आबादी के करीब 75 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं.’
हालांकि राज्यपाल ने यह भी कहा कि मानव संपदा के विकास के लिए सरकार काम कर रही है और उन्हें यह उम्मीद है कि एक दिन झारखंड देश का नंबर वन राज्य होगा. उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति ठीक नहीं है और इसको सुधारने के लिए सरकार के साथ-साथ आम लोगों को भी आगे आने की जरूरत है.इससे पूर्व कार्यक्रम में राज्यपाल का भव्य स्वागत किया गया. राज्यपाल ने इस्कॉन के सेंट्रल किचन का निरीक्षण कर देखा कि वहां किस तरह बच्चों के लिए हाइजेनेक तरीके से मिड डे मिल तैयार किया जाता है.