जनादेश का सम्मान नहीं हुआ तो फिर 1971 की तरह विभाजन
लाहौर : पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पनामा पेपर लीक्स मामले में उन्हें प्रधानमंत्री पद पर अयोग्य घोषित किये जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा कि जनादेश का सम्मान नहीं किया गया, तो पाकिस्तान को वर्ष 1971 की तरह ‘विभाजन’ का सामना करना पड़ सकता है. लाहौर हाइकोर्ट की ओर से शरीफ और उनके पार्टी सदस्यों के ‘न्यायपालिका-विरोधी’ टिप्पणियों के प्रसारण पर रोक लगाये जाने के एक दिन बाद शरीफ की यह टिप्पणी सामने आयी है.
उन्होंने पनामा पेपर्स जांच में हिस्सा के लिए देश की खुफिया एजेंसियों पर भी निशाना साधा. देश से बाहर संपत्ति रखने के मामले में शरीफ और उनके परिजनों के खिलाफ यह जांच की गयी थी. शरीफ ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार खुफिया एजेंसियों – आईएसआई और मिलिटरी इंटेलीजेंस- को ऐसे मामले की जांच के लिए संयुक्त जांच दल (जेआइटी) में शामिल किया, जिसका ताल्लुक आतंकवाद व राष्ट्रीय सुरक्षा से नहीं है.
वकीलों के सम्मेलन में 67 वर्षीय शरीफ ने कहा कि उनको अयोग्य ठहराये जानेवाला सुप्रीम कोर्ट के 28 जुलाई के फैसले को लोगों ने स्वीकार नहीं किया है. इसे देश के इतिहास के ‘अन्यायपूर्ण फैसले’ के रूप में याद रखा जायेगा. अब इसे रोका जाना चाहिए. हमें मतपत्र के सम्मान को सुनिश्चत करना चाहिए. अगर लोगों के मत का सम्मान नहीं किया गया, तो मुझे डर है कि पाकिस्तान को वर्ष 1971 की तरह के हालात के सामना करना पड़ सकता है, जब देश दो टुकड़ों में बंट गया था. पाकिस्तान इस समस्या को सुलझाए बिना आगे नहीं बढ़ सकता.