संघ का ब्लू प्रिंट हैदराबाद में बनेगा
हैदराबाद : संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी की होने जा रही बैठक में देश के सामने बड़ी चुनौती के साथ बीजेपी की दशा और दिशा का आंकलन कर संघ अपने और मुद्दों के लिए नई जमावट के ब्लू प्रिंट को अंतिम रूप देगा। जिसमें उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में होने वाले चुनावों के मद्देनजर बीजेपी बैठक में जरूरी फेरबदल पर अपनी मोहर लगा सकती है। हैदराबाद में होने जा रही इस बैठक को संघ की दशहरा बैठक से जोड़कर देखा जा रहा है जिसमें राष्ट्रीय पदाधिकारियों के प्रवास का रोडमैप बनाया जाएगा। संघ के प्रचारकों की भूमिका को ध्यान में रखते हुए केरल, कर्नाटक से लेकर बीजेपी शासित राज्य मध्यप्रदेश में बालाघाट का मुद्दा भी चर्चा का विषय बन सकता है। बालाघाट में संघ के प्रचारक के साथ मारपीट की घटना के बाद जिस तरह सरकार पर पुलिस अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई का दबाव बना था उसने अब बीजेपी और कांग्रेस को आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया।
विजयदशमी के मौके पर सरसंघचालक मोहन भागवत जिस तरह सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर मचे घमासान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेतृत्व की खुलकर तारीफ कर चुके हैं और उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष विधानसभा चुनाव में किसी के चेहरे को सीएम इन वेटिंग घोषित नहीं करने का ऐलान कर चुके हैं उसके बाद संघ की हैदराबाद में होने जा रही कार्यकारिणी बैठक का महत्त्व और बढ़ जाता है। संघ की इस बैठक में यूं तो साल भर के कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया जाएगा, फिर संभावना जताई जा रही है कि उत्तर प्रदेश के साथ पांच राज्यों के चुनाव को देखते रखते हुए बीजेपी संगठन में बदलाव के कुछ संकेत मिल सकते हैं चाहे फिर वो राष्ट्रीय संगठन महामंत्री और उनकी टीम से जुड़े संघ के नुमाइंदे हों या फिर कुछ प्रचारकों ही क्यों न हों। इन दिनों सर्जिकल स्ट्राइक कुछ ज्यादा सुर्खियों में है। इस मुद्दे पर संघ अपनी सोच से बीजेपी को अवगत करा सकता है। वह बात और है कि रक्षा मंत्री मनोहर परिकर सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता का श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी को दे चुके हैं। पीएम नरेंद्र मोदी भी जिस तरह मध्यप्रदेश की धरती से शौर्य स्मारक के लोकार्पण के दौरान सेना के पराक्रम के साथ अपने आक्रामक नेतृत्व को लेकर उठे सवालों का जवाब दे चुके हैं उसके बाद संघ भी मोदी के साथ खुलकर सामने आ चुका है। ऐसे में कश्मीर पर नियंत्रण रखने के लिए सभी विकल्पों पर विचार मंथन इस बैठक में हो सकता है जिसमें राष्ट्रपति शासन लगाया जाना भी शामिल हो तो आश्चर्य नहीं होगा। संघ के मुख्य मुद्दों से जुड़े राम मंदिर पर भी कोई प्रस्ताव लाया जा सकता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ और राम मंदिर का मुद्दा उत्तर प्रदेश की सियासत में गरमा चुका है। बीजेपी अपना रुख स्पष्ट कर इसे सियासी हिस्सा बनने में जुटी है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विजयादशमी के मौके पर लखनऊ से जय श्रीराम का उद्घोषक कर चुके हैं तो उसके बाद बीजेपी ही नहीं समाजवादी पार्टी भी वह सतर्क हो चुकी है। सपा की उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर चार यात्राओं का आगाज़ होने वाला है। तब संघ के एजेंडे में सबसे ऊपर उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव होगा जहां उत्तर प्रदेश में सीएम इन वेटिंग और चुनावी मुद्दों को लेकर संघ अपना दखल बढ़ा सकता है। पिछले कुछ महीनों में संघ ने केंद्र से लेकर राज्य स्तर पर खासतौर से जहां बीजेपी की सरकार है विशेष फीडबैक हासिल किया जिसके बाद प्रचारकों का प्रशिक्षण शिविर सूरजकुंड में हो चुका है। संघ और भाजपा के बीच भी बैठक का दौरा पूरा हो चुका है यानी संघ जब आगामी एक साल के अपने रोडमैप को अंतिम रूप देगा तो उसमें उत्तरप्रदेश के अलावा 5 राज्यों में होने वाले चुनाव ही नहीं बल्कि गुजरात के चुनाव और चुनौती से भी निपटने की रणनीति शामिल होगी। जहां कई राज्यों में आरक्षण को लेकर बवाल मचा है तो बीजेपी शासित राज्यों में आए दिन परिवर्तन की लगाए जाने वाली अटकलों पर भी संघ को विराम लगाने के स्पष्ट संकेत देने होंगे।